जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा और यम शिला का रहस्य

जगन्नाथ की रथ यात्रा का महत्व
पुरी। हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है, जो दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। मंदिर की परंपरा के अनुसार, भक्त हर साल भगवान जगन्नाथ, शुभद्र और बलभद्र के रथ को खींचने के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति को पुनर्जन्म नहीं मिलता, बल्कि उसे भगवान विष्णु के लोक में स्थान प्राप्त होता है और उसके सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। इस मंदिर में एक विशेष स्थान है जिसे 'यम शिला' कहा जाता है। आज हम जानेंगे कि यम शिला क्या है और इसका रहस्य क्या है।
यम शिला का रहस्य
यम शिला क्या है?
जगन्नाथ जी के मंदिर में कुल 22 सीढ़ियाँ हैं, जिनमें से तीसरी सीढ़ी को 'यम शिला' कहा जाता है। यह सीढ़ी रहस्यमय मानी जाती है।
तीसरी सीढ़ी का रहस्य क्या है?
तीसरी सीढ़ी का रहस्य गहरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस सीढ़ी पर मृत्यु के देवता यमराज का वास है। कहा जाता है कि एक बार यमराज ने देखा कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद, यमराज भगवान से मिलने पुरी आए और कहा कि लोग आपके दर्शन से मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं, जिससे कोई भी उनके यमलोक में नहीं आता।
भगवान श्री जगन्नाथ ने यमराज से कहा कि वे मेरे मंदिर के तीसरी सीढ़ी पर विराजमान हो जाएं। अब जो भक्त इस सीढ़ी पर कदम रखेगा, वह पाप से मुक्त होगा, लेकिन यमलोक भी जाएगा। इसीलिए इस सीढ़ी को 'यम शिला' कहा जाएगा। अन्य सीढ़ियों की तुलना में तीसरी सीढ़ी का रंग काला है, ताकि भक्त इसे आसानी से पहचान सकें। इसी कारण से कोई भी भक्त भगवान के दर्शन के बाद तीसरी सीढ़ी पर कदम नहीं रखता है।