जटाधारा: एक नई सिनेमाई यात्रा जो रहस्य और विज्ञान को जोड़ती है
फिल्म का परिचय
आज के दर्शक बदलाव की चाह रखते हैं। वे वही पुरानी कहानियाँ नहीं चाहते, बल्कि कुछ ऐसा जो उनके मन और दिल को झकझोर दे। जब निर्देशक नई सोच के साथ आगे बढ़ते हैं, तो दर्शक भी उन्हें अपनाने में संकोच नहीं करते। इसी दिशा में एक बेहतरीन उदाहरण है 'जटाधारा', जो रहस्य, अध्यात्म और विज्ञान को एक साथ मिलाकर एक नया सिनेमाई अनुभव प्रस्तुत करती है।
कहानी की पृष्ठभूमि
इस फिल्म की कहानी अनंथा पद्मनाभस्वामी मंदिर की रहस्यमय गलियों में बसी हुई है। यहाँ की कथा 'पिशाच बंधन' नामक अनुष्ठान के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मृत आत्माओं को खजाने की रक्षा के लिए बांधने का कार्य करता है। निर्देशक वेंकट कल्याण और अभिषेक जायसवाल ने इस विषय को न केवल रोचक बनाया है, बल्कि इसे खूबसूरती से पर्दे पर प्रस्तुत किया है। उन्होंने दर्शकों को डराने के बजाय सोचने पर मजबूर किया है कि क्या अंधविश्वास और आस्था के बीच केवल एक रेखा का अंतर है?
किरदारों का प्रदर्शन
सुधीर बाबू ने शिवा के किरदार में गहराई और गंभीरता का अद्भुत प्रदर्शन किया है। उनका किरदार एक वैज्ञानिक का है, जो भूत-प्रेत के मिथकों पर विश्वास नहीं करता, लेकिन जब विज्ञान उसके सामने जवाब देने लगता है, तो उसका आंतरिक संघर्ष अद्भुत रूप से उभरता है।
सोनाक्षी सिन्हा ने तेलुगु सिनेमा में एक विस्फोटक किरदार, धन पिशाची, के रूप में शुरुआत की है। वह न तो पारंपरिक खलनायिका हैं और न ही पीड़ित आत्मा, बल्कि लालच और मोक्ष के बीच झूलती हुई आत्मा का प्रतीक हैं। उनका राक्षसी रूपांतरण देखने लायक है।
दिव्या खोसला कुमार का अभिनय संवेदनशील और संयमित है। वरिष्ठ कलाकार जैसे शिल्पा शिरोडकर और इंदिरा कृष्णा ने अपने अनुभव से कहानी को और विश्वसनीय बनाया है।
संवाद और संगीत
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसके संवाद हैं। साई कृष्ण कर्णे और श्याम बाबू मेरिगा ने संवादों को केवल वाक्य नहीं, बल्कि अनुभव बना दिया है। हर संवाद मानो किसी प्राचीन ग्रंथ से निकली पंक्ति हो।
राजीव राज का संगीत फिल्म का एक महत्वपूर्ण भावनात्मक तत्व है। 'शिव स्तोत्रम' और 'पल्लो लटके अगेन' दोनों ही फिल्म के विभिन्न मूड को दर्शाते हैं।
दृश्य और एक्शन
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, समीर कल्याणी द्वारा, मंत्रमुग्ध करने वाली है। मंदिर के अंधकार में चमकते दीपक और रहस्यमय प्रतीक एक सम्मोहन रचते हैं।
एक्शन दृश्य केवल तलवारों की चमक तक सीमित नहीं हैं। हर लड़ाई एक प्रतीक है — विज्ञान बनाम आस्था, तर्क बनाम विश्वास।
निर्देशकों की सफलता
वेंकट कल्याण और अभिषेक जायसवाल ने एक जोखिम भरा रास्ता चुना और इसमें सफल रहे। उन्होंने हॉरर, मिस्ट्री और फैंटेसी को भारतीय दर्शन के साथ मिलाकर एक ऐसी फिल्म बनाई है जो डराती नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर करती है।
फिल्म का अनुभव
'जटाधारा' देखने का मतलब है एक ऐसे संसार में प्रवेश करना, जहाँ हर फ्रेम किसी पौराणिक चित्र जैसा लगता है।
इस वीकेंड अगर आप कुछ अलग और गहरा देखना चाहते हैं, तो 'जटाधारा' आपका इंतज़ार कर रही है।
फिल्म की जानकारी
निर्देशक – वेंकट कल्याण और अभिषेक जायसवाल
लेखक – वेंकट कल्याण
मुख्य कलाकार – सुधीर बाबू, सोनाक्षी सिन्हा, दिव्या खोसला, शिल्पा शिरोडकर, इंदिरा कृष्णा, राजीव कणकाला, रवि प्रकाश, रोहित पाठक, झांसी, सुभालेखा सुधाकर
रेटिंग – 4
अवधि – 135 मिनट
