जया बच्चन का पपाराजी पर गुस्सा: प्रेयर मीट में हुआ विवाद

जया बच्चन की तीखी प्रतिक्रिया
बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री और समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन एक बार फिर अपने तीखे बयानों के लिए चर्चा में हैं। उनका पपाराजी के साथ विवादित रिश्ता एक बार फिर तब सामने आया जब वह दिवंगत फिल्म निर्देशक रोनो मुखर्जी की प्रेयर मीट में शामिल हुईं।
प्रेयर मीट में जया का गुस्सा
3 जून को मुंबई में रोनो मुखर्जी की प्रेयर मीट का आयोजन किया गया, जिसमें फिल्म इंडस्ट्री के कई प्रमुख चेहरे शामिल हुए। रोनो मुखर्जी, जो रानी मुखर्जी और काजोल के अंकल थे, का हाल ही में कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हुआ। जया बच्चन अपनी बेटी श्वेता बच्चन के साथ इस प्रेयर मीट में गई थीं। जैसे ही वह बाहर निकलीं, पपाराजी की भीड़ ने उन्हें घेर लिया, जिससे जया बच्चन नाराज हो गईं।
जया का बयान: "बकवास सब...गंदे-गंदे सब"
जया बच्चन ने कार की ओर बढ़ते हुए कैमरों की तरफ इशारा करते हुए कहा, "चलिए...आप लोग भी आइए साथ में। जा जाइए। बकवास सब...गंदे-गंदे सब।" यह बयान कैमरे में कैद हो गया और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। जब श्वेता ने उन्हें कार में बैठाने की कोशिश की, तो जया ने एक पपाराजी को देखकर फिर से चिल्लाते हुए कहा, "आओ, आप आ जाओ गाड़ी में।" उनका यह आक्रामक रवैया कई लोगों को चौंका गया।
सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ
जया बच्चन का यह वीडियो सोशल मीडिया पर आते ही हलचल मचा गया। कुछ यूज़र्स ने उन्हें "ओवर रिएक्टिंग" कहकर ट्रोल किया, जबकि कुछ ने उनकी प्राइवेसी का समर्थन किया। कई लोगों का मानना था कि दुख के समय में मीडिया को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। एक यूजर ने लिखा, "पिछले कई सालों से यही देख रहे हैं कि जया मैम हर बार पपाराजी से उलझ जाती हैं।"
रोनो मुखर्जी को श्रद्धांजलि देने वाले सितारे
रोनो मुखर्जी की प्रेयर मीट में काजोल, तनिषा मुखर्जी, अयान मुखर्जी जैसे परिवार के सदस्य शामिल हुए। इसके अलावा, फिल्म इंडस्ट्री के कई अन्य कलाकार भी इस मौके पर उपस्थित थे। यह एक भावुक क्षण था, जहां कई लोग रोनो मुखर्जी को अंतिम विदाई देने आए थे। उनका निधन 28 मई को कार्डियक अरेस्ट से हुआ था।
निष्कर्ष
जया बच्चन और मीडिया के बीच का रिश्ता एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। ऐसे अवसरों पर पब्लिक फिगर्स की प्रतिक्रिया और मीडिया की संवेदनशीलता का संतुलन आवश्यक है। जया बच्चन की प्रतिक्रिया को लेकर आलोचना हो रही है, लेकिन यह भी याद दिलाता है कि निजी दुख और सार्वजनिक जीवन के बीच एक सीमारेखा होनी चाहिए।