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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने समर्थन दिया है। उनके सरकारी आवास से करोड़ों की नकदी मिलने के बाद यह मामला और भी गंभीर हो गया है। जस्टिस वर्मा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जहां उन्होंने आंतरिक जांच रिपोर्ट को चुनौती दी है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू

महाभियोग की कार्यवाही का आरंभ

जस्टिस यशवंत वर्मा महाभियोग: जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े नकदी कांड के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। इसके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों के हस्ताक्षर एकत्रित किए गए हैं। अधिकांश सांसद इस महाभियोग प्रस्ताव के समर्थन में हैं, जिसमें लगभग 208 सांसदों ने अपनी सहमति दी है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपे गए नोटिस पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी, भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर सहित कुल 145 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपे गए नोटिस पर 63 सांसदों ने साइन किए हैं।


जस्टिस वर्मा के निवास से मिली बड़ी मात्रा में नकदी

जस्टिस वर्मा के घर से करोड़ों की नकदी मिली थी

14 मार्च को होली की रात लगभग 11:35 बजे जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई। उस समय वे दिल्ली से बाहर थे। उनके परिवार ने आग बुझाने के लिए दमकल विभाग को बुलाया। आग बुझाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल भी मौके पर पहुंचा। इस दौरान वहां बड़ी मात्रा में नोटों के बंडल पाए गए। बताया गया कि एक पूरा कमरा नोटों से भरा हुआ था।


महाभियोग से पहले जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

महाभियोग से पहले जस्टिस वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुँचे

महाभियोग की प्रक्रिया से पहले, जस्टिस वर्मा ने आंतरिक जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। रिपोर्ट में नकदी के स्रोत का खुलासा न कर पाने के कारण महाभियोग की सिफारिश की गई है। जस्टिस वर्मा का कहना है कि स्टोररूम पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय रिपोर्ट की वैधता को निर्धारित करेगा। उल्लेखनीय है कि मार्च में जस्टिस वर्मा के घर से आग लगने की घटना के बाद करोड़ों की नकदी बरामद की गई थी।


जांच समिति की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश

जांच समिति की रिपोर्ट में मिली नकदी जस्टिस वर्मा और उनके परिवार की बताई गई थी, लेकिन उन्होंने इसका स्रोत नहीं बताया। इसके बाद जांच समिति ने महाभियोग की सिफारिश की, जिसे केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। इस नकदी कांड के बाद जस्टिस वर्मा का दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरण किया गया था।