जावेद अख्तर का विवादास्पद बयान: धर्म और शराब में समानता का तर्क
जावेद अख्तर का बेबाक बयान
प्रसिद्ध गीतकार और लेखक जावेद अख्तर एक बार फिर अपने स्पष्ट विचारों के लिए चर्चा में हैं। हाल ही में उन्होंने धर्म की तुलना शराब से की है। उनका मानना है कि जैसे शराब का सीमित सेवन फायदेमंद हो सकता है, वैसे ही धर्म का संयमित पालन भी ठीक है, लेकिन दोनों की अति खतरनाक हो सकती है।
धर्म और शराब के बीच समानता
जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में कहा कि शराब और धर्म में कई समानताएं हैं। दोनों का सीमित उपयोग ठीक है, लेकिन जब लोग सीमाएं पार कर जाते हैं, तब समस्या उत्पन्न होती है। उन्होंने एक सर्वे का उदाहरण दिया जिसमें पाया गया कि संयमित मात्रा में शराब पीने वाले लोग लंबे समय तक जीते हैं।
धर्म का सीमित उपयोग
जावेद ने यह भी कहा कि कुछ दवाओं में शराब होती है, और धर्म का सीमित उपयोग समाज के लिए फायदेमंद हो सकता है। लेकिन जब यह नियंत्रण से बाहर हो जाता है, तब समस्या उत्पन्न होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बुराई शराब में नहीं, बल्कि उसके अति सेवन में है।
दूध और व्हिस्की का उदाहरण
अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए जावेद ने कहा कि यदि कोई दो गिलास दूध पीता है, तो यह ठीक है, लेकिन दो गिलास व्हिस्की पीना गलत है। उन्होंने कहा कि लोग दूध के साथ अति नहीं करते, लेकिन धर्म और व्हिस्की के साथ ऐसा करते हैं, जो हानिकारक है।
विश्वास और मूर्खता का अंतर
जावेद ने विश्वास की परिभाषा पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जो चीज तर्क और प्रमाण से रहित हो, उसे विश्वास कहते हैं। उन्होंने कहा कि मूर्खता की भी यही परिभाषा है। इसलिए, वे उस विश्वास को स्वीकार करते हैं जिसमें तर्क और समझदारी हो।
शराब की आदतें
एक पुराने इंटरव्यू में जावेद ने बताया कि उन्हें व्हिस्की पसंद थी, लेकिन बाद में एलर्जी के कारण उन्होंने बीयर पीना शुरू किया। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा आया जब उन्हें एहसास हुआ कि अगर यह चलता रहा, तो वे लंबे समय तक नहीं जी पाएंगे। अब वे पूरी तरह से शराब से दूर हैं।
सीमाओं का महत्व
जावेद अख्तर का यह इंटरव्यू हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हमारी आस्थाएं और आदतें कब एक सीमा पार कर हमें नुकसान पहुंचाने लगती हैं। उनका दृष्टिकोण निश्चित रूप से विचारणीय है।
