द केरल स्टोरी को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: विवाद और आलोचना

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में द केरल स्टोरी का सम्मान
71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में "द केरल स्टोरी" को दो महत्वपूर्ण पुरस्कार मिले हैं, जिसमें सुदीप्तो सेन को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और प्रशांतु महापात्रा को सर्वश्रेष्ठ छायांकन का पुरस्कार शामिल है। हालांकि, निर्णायक मंडल के सभी सदस्य इस फिल्म के चयन पर सहमत नहीं थे। फिल्म निर्माता प्रदीप नायर ने एक साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने इस फिल्म के चयन का विरोध किया था, इसे केरल राज्य की छवि को नुकसान पहुँचाने वाला "प्रचार" करार दिया। लेकिन उनकी आपत्तियों को अन्य सदस्यों ने खारिज कर दिया।
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के छात्र संगठन ने ‘द केरल स्टोरी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार देने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है, इसे ‘‘न केवल निराशाजनक, बल्कि खतरनाक भी’’ बताया। फिल्म निर्माता सुदीप्तो सेन ने इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता, जबकि इसे सर्वश्रेष्ठ ‘सिनेमेटोग्राफी’ का पुरस्कार भी मिला।
इस फिल्म में इस्लामिक स्टेट द्वारा केरल में महिलाओं के जबरन धर्मांतरण और उन्हें अपने संगठन में शामिल करने की कहानियों का चित्रण किया गया है, जिससे यह विवादों में रही है।
एफटीआईआई छात्र संघ ने दो अगस्त को एक बयान में कहा कि ‘द केरल स्टोरी’ केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक हथियार है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि यदि सिनेमा के नाम पर प्रचार उसके बहुसंख्यकवादी, नफरत भरे एजेंडे से मेल खाता है, तो वह उसे पुरस्कृत करेगा।’’
बयान में यह भी कहा गया कि इस फिल्म को पुरस्कार देना ‘‘निराशाजनक और खतरनाक’’ है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब कोई सरकारी संस्था अल्पसंख्यकों के खिलाफ गलत सूचना फैलाने वाली फिल्म को बढ़ावा देती है, तो वह केवल कला को मान्यता नहीं दे रही होती, बल्कि हिंसा को भी वैध बना रही होती है।
छात्र संगठन ने यह भी कहा कि यह फिल्म भविष्य में भीड़ द्वारा हत्या, सामाजिक बहिष्कार और राजनीतिक भेदभाव की घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने सिनेमा को सरकार द्वारा प्रायोजित सांप्रदायिकता के उपकरण में बदलने की निंदा की।