दक्षिण भारतीय अभिनेता रंगनाथ की अनकही कहानी: दौलत और दुख का सफर

रंगनाथ: एक चमकदार करियर की कहानी
रंगनाथ: जब हम फ़िल्मी सितारों की बात करते हैं, तो अक्सर हमें उनकी ग्लैमर और शोहरत की दुनिया का ख्याल आता है। लेकिन इस चमक के पीछे कई संघर्ष और दर्द भरी कहानियाँ छिपी होती हैं। दक्षिण भारतीय अभिनेता थिरुमाला सुंदर श्री रंगनाथ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिनका असली दर्द उनकी मृत्यु के बाद उजागर हुआ।
300 से अधिक फ़िल्मों में अद्भुत सफर
1946 में मद्रास (अब चेन्नई) में जन्मे रंगनाथ दक्षिण भारतीय सिनेमा के प्रमुख नामों में से एक थे। फ़िल्मों में कदम रखने से पहले, उन्होंने भारतीय रेलवे में टिकट निरीक्षक के रूप में कार्य किया। हालांकि उनकी नौकरी स्थायी थी, लेकिन उनका सपना हमेशा फ़िल्मों में काम करने का था। उन्होंने 1969 में 'बुद्धिमंतुडु' से अपने करियर की शुरुआत की।
उन्हें 1974 की तेलुगु फिल्म 'चंदना' से बड़ी पहचान मिली, जिसके बाद उन्होंने 40 से अधिक फ़िल्मों में मुख्य भूमिकाएँ निभाईं। रंगनाथ ने अपने करियर में 300 से अधिक फ़िल्मों में काम किया, जिनमें अक्सर खलनायक की भूमिकाएँ शामिल थीं। 1984 की तमिल फिल्म 'काई कोडुक्कुम काई' में उनके अभिनय ने उन्हें हर घर में पहचान दिलाई।
व्यक्तिगत जीवन में दुख: पत्नी की मृत्यु के बाद का संघर्ष
हालांकि रंगनाथ की प्रसिद्धि के पीछे एक ऐसा व्यक्ति था जो व्यक्तिगत दुखों से जूझ रहा था। 2009 में, उनकी पत्नी चैतन्य का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया, जिसने उन्हें गहरे अवसाद में धकेल दिया। दुर्भाग्यवश, 2015 में रंगनाथ अपने घर में मृत पाए गए, और पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला।
संपत्ति का चौंकाने वाला मोड़: नौकरानी के नाम की दौलत
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि सुसाइड नोट में रंगनाथ ने अपनी सारी संपत्ति अपनी लंबे समय से काम करने वाली नौकरानी मीनाक्षी के नाम कर दी थी। उनकी बेटी नीरजा ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, "मीनाक्षी हमारे परिवार का हिस्सा रही है और उसने मेरे माता-पिता की देखभाल की। मेरे पिता ने उस पर बहुत भरोसा किया और उसके नाम पर संपत्ति भी खरीदी।"
रंगनाथ का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि शोहरत और सफलता हमेशा खुशी की गारंटी नहीं होती। सिनेमा की चमक के पीछे अक्सर अकेलेपन और गुमनाम वफ़ादारी की कहानियाँ छिपी होती हैं, जैसे कि उनकी नौकरानी की कहानी जो अंत तक उनके साथ खड़ी रही।