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दया डोंगरे: मराठी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री का निधन

दया डोंगरे, जो मराठी सिनेमा की एक प्रमुख अभिनेत्री थीं, का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से न केवल मराठी सिनेमा को बल्कि पूरे कला क्षेत्र को बड़ा नुकसान हुआ है। दया जी ने थिएटर से लेकर फिल्म उद्योग तक अपनी बहुआयामी प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया। उनके नकारात्मक किरदारों में अदाकारी ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। इस लेख में उनके जीवन, करियर और यादगार भूमिकाओं पर चर्चा की गई है।
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दया डोंगरे: मराठी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री का निधन

दया डोंगरे का निधन


आज मराठी मनोरंजन क्षेत्र में एक दुखद घटना घटी है। प्रसिद्ध अभिनेत्री दया डोंगरे का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जाना न केवल मराठी सिनेमा के लिए, बल्कि समग्र कला जगत के लिए एक बड़ा नुकसान है। दया जी ने थिएटर, टेलीविजन और फिल्म उद्योग में अपनी बहुआयामी प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया। विशेष रूप से, उनके नकारात्मक भूमिकाओं में अभिनय ऐसा था कि दर्शक उन्हें कभी नहीं भूल पाते थे।


दया डोंगरे का प्रारंभिक जीवन

उनका जन्म 11 मार्च 1940 को पुणे में हुआ था। उनके परिवार में कला का गहरा संबंध था। उनकी मां यमुनाबाई मोडक एक प्रसिद्ध नाट्य अभिनेत्री थीं, जबकि उनकी नानी शांताबाई मोडक मराठी सिनेमा की एक प्रसिद्ध गायिका थीं।


दया को बचपन से ही संगीत और अभिनय में रुचि थी। उन्होंने शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया और पहले गायिका बनने का सपना देखा। लेकिन किस्मत ने उन्हें अभिनय की ओर मोड़ दिया। स्कूल के दिनों में ही उन्होंने नाटकों में भाग लेना शुरू किया और धीरे-धीरे मराठी थिएटर में अपनी पहचान बनाई। शादी के बाद भी उन्होंने अपने करियर को जारी रखा, जिसमें उनके पति शरद डोंगरे ने उनका पूरा समर्थन किया।


नेगेटिव किरदारों में दया डोंगरे की पहचान

दया जी ने मराठी सिनेमा में कई सफल फिल्मों में काम किया। 'खट्याळ सासू', 'नाठाळ सून', 'नवरी मिळे नवऱ्याला' और 'चार दिवस सासूचे' जैसी हिट फिल्मों में उनके नकारात्मक किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। इन भूमिकाओं में वे इतनी जीवंत हो जाती थीं कि दर्शक उन्हें पर्दे से अलग नहीं कर पाते थे।


छोटे पर्दे पर भी उनकी उपस्थिति अद्भुत थी। चाहे वह सास-बहू के ड्रामे हों या पारिवारिक संघर्ष, हर जगह वे एक सितारे की तरह चमकीं। हिंदी सिनेमा में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा।


1992 में आमिर खान और जूही चावला की सुपरहिट फिल्म 'दौलत की जंग' में उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता हासिल की और दया जी की अदाकारी की सराहना की गई। वे मराठी और हिंदी दोनों भाषाओं में अपनी छाप छोड़ने वाली उन चुनिंदा कलाकारों में से एक थीं, जिन्होंने सीमाओं को पार किया। दया डोंगरे की जिंदगी संघर्षों से भरी रही, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।