दलाई लामा का 90वां जन्मदिन: भारत और विश्व नेताओं का समर्थन
दलाई लामा का 90वां जन्मदिन समारोह भारी बारिश के बावजूद धूमधाम से मनाया गया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य विश्व नेताओं ने दलाई लामा के प्रति समर्थन व्यक्त किया। समारोह में तिब्बती अधिकारों और पुनर्जन्म की परंपरा पर चर्चा हुई, जबकि चीन ने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। जानें इस महत्वपूर्ण आयोजन के बारे में और अधिक जानकारी।
Jul 7, 2025, 13:29 IST
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दलाई लामा का जन्मदिन समारोह
दलाई लामा के 90वें जन्मदिन का जश्न सुगलागखांग मंदिर में भारी बारिश के बावजूद हजारों लोगों की उपस्थिति में मनाया गया। इस अवसर पर देश-विदेश के नेताओं ने दलाई लामा के साथ मंच साझा किया, जो भारत में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं और 1960 के दशक से तिब्बती लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उत्तराधिकारी की प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवाद के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर बधाई दी। अमेरिकी सरकार ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में उनके जन्मदिन के समारोह का आयोजन किया गया।
भारत की स्पष्ट मंशा
भारत ने अपनी मंशा की साफ
पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, 'दलाई लामा प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के प्रतीक रहे हैं। हम उनकी लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।' केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, राजीव रंजन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, सिक्किम के मंत्री सोनम लामा और हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गियर ने सभा को संबोधित किया। गियर ने कहा कि कई लामाओं ने यह स्पष्ट किया कि दलाई लामा अब केवल तिब्बत के नहीं हैं, बल्कि उनका संबंध पूरी दुनिया से है। यह आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब दलाई लामा की संस्था को समाप्त करने की अटकलें लगाई जा रही थीं।
चीन की प्रतिक्रिया
चीन को लगी मिर्ची
इस बीच, भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने एक्स पर कहा कि उत्तराधिकार से जुड़ी पुनर्जन्म की परंपरा 700 साल पुरानी है। वर्तमान में पुनर्जन्म की 1000 प्रक्रियाएं हैं, जो तिब्बती लोगों के निवास वाले कई प्रांतों में मौजूद हैं। 14वें दलाई लामा इस ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा हैं। पुनर्जन्म की परंपरा उनके साथ शुरू नहीं हुई थी और न ही यह उनके साथ खत्म होगी। इसका निर्णय वह अकेले नहीं कर सकते। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने चीन का नाम लिए बिना तिब्बतियों के मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।