दिल्ली में मनरेगा मजदूरों का प्रदर्शन: सुधार की मांग

मनरेगा कार्यकर्ताओं का विरोध
मनरेगा कार्यकर्ताओं का विरोध: शनिवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में नरेगा संघर्ष मोर्चा द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनरेगा के मजदूरों और कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है। देश के 11 राज्यों से आए मजदूरों ने इस योजना से जुड़ी समस्याओं को उजागर किया और तत्काल सुधार की मांग की।
मनरेगा कार्यकर्ता मुकेश ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "मनरेगा जो गारंटी देता है, वह कहां है? हमें केवल संघर्ष दिखाई दे रहा है। लोगों को उम्मीद थी कि इस योजना से पलायन कम होगा, रोजगार घर के पास मिलेगा और ग्रामीण विकास होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।" उन्होंने बताया कि मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना था, लेकिन अब यह योजना अपनी मूल भावना से भटक गई है।
महिलाओं पर बढ़ता बोझ
महिलाओं पर बढ़ता बोझ:
मनरेगा ने ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन नई तकनीकों ने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। कार्यकर्ता रामबेटी ने कहा, "मनरेगा के आने से महिलाएं बराबरी की ओर बढ़ी थीं, लेकिन अब जियो टैगिंग जैसी नई तकनीकें समस्याएं पैदा कर रही हैं। जॉब कार्ड नहीं बन पा रहे हैं और भुगतान में देरी हो रही है, जिससे महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं।" उन्होंने तकनीकी खामियों और विलंबित भुगतानों के कारण मजदूरों, खासकर महिलाओं को हो रही परेशानियों पर जोर दिया।
मजदूरों की मांगें
मजदूरों की मांगें:
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मजदूरों ने कई मांगें रखीं, जिनमें वेतन भत्ते, बेरोजगारी भत्ता, और फेशियल रिकॉग्निशन जैसी तकनीकी समस्याओं का समाधान शामिल है। कार्यकर्ताओं ने बताया कि तकनीकी जटिलताओं ने जॉब कार्ड और भुगतान प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है, जिससे मजदूरों का विश्वास योजना पर से उठ रहा है।
मनरेगा का महत्व
मनरेगा का महत्व:
मनरेगा, जिसे 2005 में लागू किया गया था, दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना है। इसने ग्रामीण भारत में लाखों लोगों को रोजगार और आजीविका प्रदान की है। हालांकि, कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में इसकी प्रभावशीलता कम हुई है, जिसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं।