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दीपिका पादुकोण का विवाद: क्या महिला कलाकारों को अपने काम के घंटे तय करने का अधिकार है?

दीपिका पादुकोण का हालिया विवाद उनकी शर्तों और प्रोड्यूसर के साथ टकराव के कारण चर्चा में है। क्या एक महिला कलाकार को अपने काम के घंटे तय करने का अधिकार है? राणा दग्गुबाती ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और दीपिका के आगामी प्रोजेक्ट्स के बारे में।
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दीपिका पादुकोण का विवाद: क्या महिला कलाकारों को अपने काम के घंटे तय करने का अधिकार है?

दीपिका पादुकोण का नया विवाद


बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री दीपिका पादुकोण एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार कारण कोई फिल्म नहीं है, बल्कि उनकी शर्तें और प्रोड्यूसर के साथ टकराव है। निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की आगामी फिल्म 'स्पिरिट' से दीपिका को बाहर कर दिया गया है। इस निर्णय के पीछे उनकी 8 घंटे की शिफ्ट में काम करने की मांग और 20 करोड़ की फीस के साथ प्रॉफिट शेयरिंग की शर्त बताई जा रही है। इस मुद्दे ने फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़ा बहस का विषय बना दिया है—क्या एक महिला कलाकार, खासकर मां बनने के बाद, अपने पेशेवर शेड्यूल को निर्धारित करने का अधिकार रखती है?


राणा दग्गुबाती का समर्थन

इस विवाद पर जब 'बाहुबली' के अभिनेता राणा दग्गुबाती से सवाल किया गया, तो उन्होंने दीपिका की 8 घंटे की शिफ्ट की मांग को पूरी तरह से सही ठहराया। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में किसी पर भी निर्धारित समय से अधिक काम करने का दबाव नहीं डाला जाता। राणा ने लल्लनटॉप से बातचीत में कहा, "यह एक काम है, और काम के साथ-साथ विकल्प भी हैं। कोई भी आपको किसी शो या फिल्म को करने के लिए मजबूर नहीं करता। अगर कोई कलाकार तय करता है कि वह केवल 8 घंटे काम करेगा, तो यह उसकी पसंद है। कई कलाकार ऐसे भी हैं जो केवल 4 घंटे काम करना पसंद करते हैं। यह सबका अपना सिस्टम है, और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।"


वर्क-लाइफ बैलेंस पर चर्चा

राणा दग्गुबाती ने वर्क-लाइफ बैलेंस जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में अभी भी कार्य संस्कृति पूरी तरह से संतुलित नहीं हो पाई है। देश की अर्थव्यवस्था, जनसंख्या और प्रति व्यक्ति आय को देखते हुए, अभी भी बहुत सुधार की आवश्यकता है। उनके अनुसार, भारत में लोग काम को व्यक्तिगत स्थान से अधिक जोड़ लेते हैं। उन्होंने बताया कि वह तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री से हैं, जहां कार्य संस्कृति को पेशेवर से कहीं अधिक व्यक्तिगत भावनाओं से जोड़ा जाता है।


बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अंतर

राणा ने बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के काम करने के तरीकों में भी अंतर बताया। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में शिफ्ट आमतौर पर सुबह 9 बजे से शुरू होती है और 12 घंटे चलती है। वहीं, तेलुगू इंडस्ट्री में शिफ्ट सुबह 7 बजे से शुरू होती है और आमतौर पर 8 घंटे तक सीमित रहती है। उन्होंने कहा कि यदि किसी को 12 घंटे की जगह 8 घंटे काम करना अधिक सुविधाजनक लगता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। सभी के लिए समय की अहमियत है और उसे सम्मान देना आवश्यक है।


दीपिका के आगामी प्रोजेक्ट्स

जहां दीपिका को 'स्पिरिट' से बाहर कर दिया गया है, वहीं उन्होंने अगली बड़ी फिल्म के लिए तैयारी शुरू कर दी है। दीपिका अब एटली और अल्लू अर्जुन की मैग्नम ओपस फिल्म में नजर आएंगी। इस फिल्म की घोषणा बड़े स्तर पर की गई है और एक प्रोमो वीडियो भी जारी किया गया है जिसमें दीपिका अपने नए किरदार के लिए तैयारी करती दिख रही हैं। दीपिका ने इस पूरे विवाद पर अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में कई सेलेब्स सामने आए हैं। खासकर महिला कलाकारों और फेमिनिस्ट समूहों का कहना है कि एक मां होने के नाते दीपिका को अपने शेड्यूल की प्राथमिकता तय करने का पूरा अधिकार है।


निष्कर्ष

दीपिका पादुकोण और संदीप रेड्डी वांगा के बीच हुआ यह विवाद केवल एक फिल्म से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में कार्य शर्तों, महिला कलाकारों की स्थिति और पेशेवर स्वतंत्रता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करता है। राणा दग्गुबाती जैसे वरिष्ठ कलाकारों का समर्थन दिखाता है कि इंडस्ट्री में सोच में बदलाव आ रहा है। यदि भविष्य में कलाकारों को वर्क-लाइफ बैलेंस और व्यक्तिगत स्थान का सम्मान मिलेगा, तो शायद ऐसे विवादों की संभावना भी कम हो जाएगी।