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दोस्ती पर हिंदी में कविताएं: सच्चे रिश्तों की खूबसूरती

दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो खून से नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा होता है। इस लेख में हम पेश कर रहे हैं कुछ खूबसूरत हिंदी कविताएं जो दोस्ती की गहराई और सच्चे रिश्तों को बयां करती हैं। ये कविताएं न केवल भावनाओं को छूती हैं, बल्कि दोस्ती के महत्व को भी उजागर करती हैं। पढ़ें और जानें कि कैसे दोस्ती जीवन को खास बनाती है।
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दोस्ती पर हिंदी में कविताएं: सच्चे रिश्तों की खूबसूरती

दोस्ती पर हिंदी में कविताएं

दोस्ती पर हिंदी में कविता: दोस्ती एक ऐसा बंधन है जो खून से नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा होता है। ये वो साथी होते हैं जो हमारे हर सुख-दुख में हमारे साथ होते हैं, बिना किसी शर्त के। वे हमारी ज़िंदगी को हंसी और यादों से भर देते हैं।


इस खास रिश्ते को समर्पित हैं ये सुंदर हिंदी कविताएं, जो दोस्ती की गहराई को शब्दों में पिरोती हैं।


दोस्ती पर हिंदी में कविता


क्योंकि दोस्ती केवल एक रिश्ता नहीं, बल्कि एक गहरा एहसास है। इसमें न कोई स्वार्थ होता है और न ही दिखावा। सच्चा दोस्त वही होता है जो आपकी खामोशी को समझता है और बिना कहे आपके साथ खड़ा रहता है।


इसी भावना को व्यक्त करने के लिए कई शायरों और कवियों ने अपनी कलम उठाई और दोस्ती को अमर बना देने वाली कविताएं लिखी हैं।


दिल को छू लेने वाली दोस्ती की कविताएं पढ़ें


1. सच्ची दोस्ती का असर
सच्चे रिश्ते दिल से बनते हैं,
तो दूरियां कोई मायने नहीं रखतीं।
हर मोड़ पर साथ चलने वाले दोस्त,
जिंदगी को जश्न बना देते हैं।


2. मित्र वही जो वक्त पर काम आए
वक्त बदले, हालात बदलें,
पर जो साथ न छोड़े, वही सच्चा दोस्त कहलाए।
बिना कहे जो समझ जाए बात,
ऐसी दोस्ती पर हर दिल लुट जाए।


3. बचपन की दोस्ती
वो स्कूल की छुट्टी, वो टिफिन की लड़ाई,
वो साथ बैठकर खाई गई मिठाई।
ना कोई झूठ, ना कोई छलावा,
बस बचपन की दोस्ती थी सच्चा रिश्ता प्यारा।


4. दोस्ती एक मुस्कान जैसी
दोस्ती वो मुस्कान है, जो ग़म में भी साथ देती है,
वो रोशनी है जो अंधेरे में भी राह दिखा देती है।
हर मोड़ पर जो थामे हाथ,
ऐसी दोस्ती ही तो बनाती है जीवन को खास।


5. कभी ना टूटे ये डोर
जैसे धागा बांधता है कलाई पर रक्षा का वचन,
वैसे ही दोस्ती बंधती है विश्वास के धागे में।
ना टूटे कभी ये प्यारा बंधन,
दोस्ती बनी रहे यूं ही हर जन्म।


6. दोस्त: विष्णु खरे
एक नौजवान पुलिस सब-इंस्पैक्टर से दोस्ती करो।
तुम देखोगे कि यह कठिन नहीं है—अपने सिद्धांतों की रक्षा करते हुए भी
यह संभव है। तुम पाओगे कि तुम्हारी ही तरह
वह गेहुँआ और छरहरा है, उसे टोपी लगाना और वर्दी पहनना
पसंद नहीं है।


7. सहेलियां: देवयानी भारद्वाज
अब भी एक-दूसरी के जीवन में
बनी हुई है उनकी ज़रूरत।
बीते समय के पन्नों को पलटते हुए कभी
झाँक जाता है जब
किशोरपने का वह जाना-पहचाना चेहरा।