धर्मेंद्र के निधन के बाद परिवार में बढ़ी चर्चाएं: शोभा डे की टिप्पणी
धर्मेंद्र के निधन के बाद का शोक
मुंबई: बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र के निधन ने न केवल फिल्म उद्योग को शोक में डुबो दिया, बल्कि उनकी व्यक्तिगत जिंदगी भी चर्चा का केंद्र बन गई। अंतिम विदाई के दौरान आयोजित विभिन्न प्रार्थना सभाओं ने धर्मेंद्र के दो परिवारों के बीच की जटिलताओं को फिर से उजागर किया।
प्रार्थना सभाओं ने बढ़ाई चर्चाएं
धर्मेंद्र के निधन के बाद उनके बेटे सनी और बॉबी देओल ने मुंबई में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया। उसी दिन, हेमा मालिनी ने अपने घर पर गीता पाठ का आयोजन किया, लेकिन वह होटल में नहीं गईं। इसके बाद, दिल्ली में हेमा द्वारा आयोजित प्रार्थना सभा में सनी और बॉबी भी शामिल नहीं हुए। इन अलग-अलग आयोजनों ने परिवार के बीच की दूरी को स्पष्ट रूप से दिखाया।
शोभा डे की टिप्पणी
इस मामले पर प्रसिद्ध लेखिका शोभा डे ने कहा कि हेमा मालिनी को धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर के परिवार द्वारा पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। मोजो स्टोरी के साथ बातचीत में, उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे हेमा को जानबूझकर अलग रखा गया हो, जो कि भावनात्मक रूप से कठिन स्थिति थी।
45 साल का रिश्ता और उसका दर्द
शोभा डे ने बताया कि हेमा ने धर्मेंद्र के साथ लगभग 45 साल बिताए, और इस रिश्ते को उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया। ऐसे में अंतिम समय में खुद को अलग महसूस करना किसी के लिए भी कठिन हो सकता है। उनके अनुसार, इस रिश्ते से जुड़ी यादें और भावनाएं आसानी से भुलाने वाली नहीं होतीं।
दो बेटियों के साथ भावनात्मक आघात
शोभा ने यह भी कहा कि हेमा की इस शादी से दो बेटियां हैं, और यह घटनाक्रम उनके लिए भी भावनात्मक झटका रहा होगा। फिर भी, हेमा ने अपने दर्द को सार्वजनिक रूप से नहीं रखा और किसी प्रकार की शिकायत से दूर रहीं। यह उनके आत्मसंयम को दर्शाता है।
गरिमा का चयन
शोभा डे के अनुसार, हेमा मालिनी चाहतीं तो इन भावनात्मक पलों का उपयोग कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने गरिमा को प्राथमिकता दी। उन्होंने दिखावे या प्रतिस्पर्धा के बजाय संतुलन और सम्मान का रास्ता चुना। यही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी ताकत है।
