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धर्मेंद्र के निधन से गम में डूबा लुधियाना, गांव में शोक की लहर

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र के निधन ने लुधियाना में शोक की लहर पैदा कर दी है। 89 वर्ष की आयु में उनका निधन मुंबई में हुआ। उनके गांव डंगो और साहनेवाल में लोग उन्हें परिवार के सदस्य की तरह याद कर रहे हैं। उनकी बुआ और अन्य स्थानीय लोग उनके साथ बिताए पलों को साझा कर रहे हैं। जानें उनके जीवन की कुछ खास बातें और गांव के लोगों की यादें।
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धर्मेंद्र के निधन से गम में डूबा लुधियाना, गांव में शोक की लहर

धर्मेंद्र का निधन


लुधियाना: प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र के निधन की खबर ने पूरे देश को शोक में डाल दिया है। सोमवार दोपहर, 89 वर्ष की आयु में उनका निधन मुंबई स्थित उनके निवास पर हुआ। जैसे ही यह समाचार फैला, पंजाब के लुधियाना जिले के डंगो गांव और साहनेवाल कस्बे में गहरा सन्नाटा छा गया। लोग उन्हें केवल एक फिल्म स्टार नहीं, बल्कि अपने परिवार के सदस्य के रूप में याद कर रहे हैं।


गांव से जुड़ाव

धर्मेंद्र ने अपने करियर में अपार सफलता हासिल की, लेकिन उन्होंने अपने गांव और अपनी जड़ों से कभी दूरी नहीं बनाई। उनका जन्म डंगो गांव में हुआ था और उन्होंने अपने बचपन के कई साल साहनेवाल में बिताए। आज भी लोग उस किराए के घर को धर्मेंद्र का घर मानते हैं, जहां वे छोटे थे। यह घर अब किसी और के पास है, लेकिन पहचान आज भी धर्मेंद्र के नाम से ही है। स्थानीय लोग बताते हैं कि धर्मेंद्र अक्सर रात के समय गांव आते थे ताकि वह अपने परिवार के साथ शांति से समय बिता सकें।


बुआ प्रीतम कौर की यादें

बुआ प्रीतम कौर ने क्या बताया?


धर्मेंद्र की बुआ प्रीतम कौर, जो अब सौ साल से अधिक की हैं, याद करती हैं कि वह अक्सर अचानक आते थे और परिवार के सभी सदस्यों के साथ बैठकर बातें करते थे। उन्होंने अपने 19 कनाल खेती की जमीन अपने कजिन मंजीत सिंह देओल के परिवार को सौंप दी थी। उनके बेटे बूता सिंह बताते हैं कि धर्मेंद्र हमेशा अपने परिवार को एकजुट रखना चाहते थे और जमीन उनके लिए परिवार का प्रतीक थी। जब बूता के पिता और चाचा का कोविड के दौरान निधन हुआ, तो धर्मेंद्र बहुत दुखी हुए थे।


लोगों के किस्से

लोगों ने शेयर किये किस्से


धर्मेंद्र अक्सर कहते थे कि वह गांव के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे, लेकिन फिल्मों की व्यस्तता के कारण समय नहीं मिल पाता था। गांव के कई लोग उनके साथ अपने अनोखे अनुभव साझा करते हैं। गिरधारी लाल शर्मा बताते हैं कि जब वह ट्रेनिंग के लिए मुंबई गए थे, तो धर्मेंद्र ने उन्हें अपने घर में ठहराया था और सनी देओल ने खुद उन्हें कमरा दिखाया था। साहनेवाल के मिठाई विक्रेता सतीश कुमार बताते हैं कि धर्मेंद्र हर बार उनकी दुकान से मिठाई लेते थे और 2023 में अपने पोते करण देओल की शादी के लिए 35 किलो बरफी भी ऑर्डर की थी।


गांव का माहौल

कैसा था गांव में माहौल?


जब से धर्मेंद्र अस्पताल में भर्ती हुए थे, तब से डंगो और साहनेवाल के लोग उनकी सलामती के लिए दुआ कर रहे थे। लेकिन सोमवार को उनके निधन की खबर सुनकर लोग उनके पुराने घर के पास स्थित सत्थ पर इकट्ठा होकर शोक मनाने लगे। गांव की 90 साल की माया देवी, जो धर्मेंद्र के साथ पढ़ती थीं, यह सुनकर रो पड़ीं। उन्होंने कहा कि वह उन्हें आखिरी बार देखने की इच्छा रखती थीं, लेकिन यह संभव नहीं हो सका।