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धर्मेंद्र: बॉलीवुड के ही-मैन का अद्भुत सफर और विरासत

धर्मेंद्र, बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता, का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके करियर ने भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। इस लेख में, हम उनके जीवन, करियर की उपलब्धियों, और उनकी सांस्कृतिक छाप पर चर्चा करेंगे। धर्मेंद्र का सफर एक छोटे से गाँव से लेकर हिंदी सिनेमा के शीर्ष तक का है, जो प्रेरणा और संघर्ष की कहानी है। उनकी फिल्मों ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है।
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धर्मेंद्र: बॉलीवुड के ही-मैन का अद्भुत सफर और विरासत

धर्मेंद्र का निधन

बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में 24 नवंबर, 2025 को निधन हो गया। यह दिग्गज अभिनेता पिछले कुछ समय से बीमार थे और उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई, और उनका इलाज घर पर जारी था। उनके परिवार की ओर से आधिकारिक बयान का इंतजार किया जा रहा है।


धर्मेंद्र का करियर

धर्मेंद्र, जिनका असली नाम कृष्ण देओल है, का जन्म 8 दिसंबर, 1935 को पंजाब के नसराली गाँव में हुआ था। एक स्कूल शिक्षक के बेटे के रूप में बड़े हुए, उन्होंने अपने गाँव से बाहर निकलकर बड़े सपने देखे। 1958 में, उन्होंने फ़िल्मफ़ेयर मैगज़ीन और बिमल रॉय प्रोडक्शंस द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय टैलेंट सर्च प्रतियोगिता जीती, जिसने उन्हें मुंबई और फिल्म उद्योग में प्रवेश दिलाया। उनकी पहली फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' (1960) थी, हालांकि यह फिल्म ज्यादा सफल नहीं रही।


स्टारडम की ओर बढ़ते कदम

1960 के दशक की शुरुआत में, धर्मेंद्र ने 'अनुपमा' (1966) और 'फूल और पत्थर' (1966) जैसी फिल्मों से अपनी विविधता दिखाई। बाद की फिल्म ने उन्हें एक प्रमुख अभिनेता और हिंदी सिनेमा के पहले एक्शन सितारों में से एक के रूप में स्थापित किया। 1970 के दशक तक, वह हिंदी फिल्मों में एक महत्वपूर्ण नाम बन गए। उन्होंने 'चुपके चुपके' (1975) में कॉमेडी से दर्शकों का दिल जीता और 'शोले' (1975) में 'वीरू' के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें आइकॉनिक बना दिया।


उपलब्धियाँ और सम्मान

धर्मेंद्र के करियर में छह दशकों से अधिक की सफलता रही है। उन्हें 2012 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 1997 में, उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला, जिसमें उनके रोमांस, एक्शन, कॉमेडी और ड्रामा के काम को मान्यता मिली। इसके अलावा, उन्होंने 'विजयता फिल्म्स' नामक प्रोडक्शन हाउस की स्थापना की, जिसके तहत 'घायल' (1990) एक बड़ी हिट बनी।


धर्मेंद्र की सांस्कृतिक छाप

धर्मेंद्र की फिल्मों जैसे 'यादों की बारात' (1973), 'जुगनू' (1973), और 'हुकूमत' (1987) ने उनके सुपरस्टार स्टेटस को और मजबूत किया। उनकी अदाकारी में एक खास भारतीय मर्दानगी झलकती थी, जो उन्हें कई दशकों तक बॉक्स ऑफिस पर राज करने में मददगार साबित हुई।


व्यक्तिगत जीवन

धर्मेंद्र ने 1954 में अपनी पहली पत्नी प्रकाश कौर से विवाह किया और बाद में 1980 में अभिनेत्री हेमा मालिनी से शादी की। उनके परिवार में उनके बेटे सनी देओल और बॉबी देओल शामिल हैं, जिन्होंने भी बॉलीवुड में सफल करियर बनाया। धर्मेंद्र ने अपनी जड़ों से जुड़े रहने की कोशिश की और अपनी विनम्रता के लिए जाने गए।


धर्मेंद्र की विरासत

पंजाब के एक छोटे से गाँव से हिंदी सिनेमा की ऊंचाइयों तक धर्मेंद्र का सफर एक प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने बॉलीवुड के सुनहरे दौर की भावना को जीवित रखा, एक ऐसा अभिनेता जो रोमांस, एक्शन, और कॉमेडी में माहिर था। उनकी फिल्में केवल मनोरंजन नहीं थीं, बल्कि एक गहरी भावना का प्रतिनिधित्व करती थीं।