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धर्मेंद्र: बॉलीवुड के ही-मैन की जिंदगी और धर्म पर विवाद

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का हाल ही में निधन हो गया। उनकी अदाकारी और व्यक्तिगत जीवन, विशेषकर हेमा मालिनी से शादी और इस्लाम धर्म अपनाने के विवाद ने उन्हें हमेशा सुर्खियों में रखा। जानें उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं और परिवार के धार्मिक मूल्यों के बारे में।
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धर्मेंद्र: बॉलीवुड के ही-मैन की जिंदगी और धर्म पर विवाद

धर्मेंद्र का निधन और करियर


बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र, जो अपनी बेहतरीन अदाकारी और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे, का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने अपने करियर में कई हिट फिल्मों में काम किया और हाल ही में 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में नजर आए थे। 60 और 70 के दशक में, उन्होंने 'शोले', 'सीता और गीता', 'धरम वीर' और 'चुपके चुपके' जैसी फिल्मों से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। उनकी व्यक्तिगत जिंदगी भी हमेशा चर्चा का विषय रही, खासकर उनकी शादी हेमा मालिनी और इस्लाम धर्म अपनाने के विवाद के कारण।


हेमा मालिनी से शादी और धर्म परिवर्तन

धर्मेंद्र ने 1980 में हेमा मालिनी से विवाह करने के लिए इस्लाम धर्म अपनाया और उनका नाम दिलावर खान रखा गया। हालांकि, उन्होंने और हेमा ने कभी भी इस्लाम धर्म अपनाने की बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया। कहा जाता है कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत, बिना तलाक के दूसरी शादी संभव नहीं थी, इसलिए उन्होंने इस्लाम धर्म को अपनाने का निर्णय लिया।


धर्मेंद्र का धर्म और परिवार

धर्मेंद्र का धर्म: ही-मैन किस धर्म को मानते हैं?
जब धर्मेंद्र ने हेमा मालिनी से शादी की, तब मीडिया में यह खबर आई कि उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया है। लेकिन उन्होंने कभी भी इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया। 2004 में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके धर्म पर विवाद करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वह एक हिंदू हैं और हमेशा इसी धर्म का पालन करते रहे हैं।


धर्मेंद्र ने सभी धर्मों के सम्मान की बात कही
धर्मेंद्र का परिवार अपने पारिवारिक मूल्यों और धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाना जाता है। वह अक्सर सोशल मीडिया पर भगवान, देश और मानवता के बारे में बात करते नजर आते थे। उनके बेटे सनी देओल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने अपने माता-पिता से सभी धर्मों का समान सम्मान करना सीखा है। उनके खंडाला फार्महाउस पर हर साल लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता था, जहां उन्होंने पंजाब के खेतों जैसा माहौल तैयार किया था।