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निशानची फिल्म समीक्षा: अनुराग कश्यप की नई कहानी में गुंडों और राजनीति का संगम

अनुराग कश्यप की नई फिल्म 'निशानची' छोटे शहरों के गुंडों और राजनीति के बीच के जटिल रिश्तों को उजागर करती है। ऐश्वर्या ठाकरे की पहली फिल्म में एक दिलचस्प कहानी है, जिसमें बबलू और डबलू की बैंक लूटने की कोशिश और उनके परिवार की प्रेम कहानी शामिल है। क्या यह फिल्म दर्शकों को बांधने में सफल होती है? जानें पूरी समीक्षा में।
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निशानची फिल्म समीक्षा: अनुराग कश्यप की नई कहानी में गुंडों और राजनीति का संगम

फिल्म की पृष्ठभूमि

अनुराग कश्यप की नई फिल्म "निशानची" छोटे शहरों के गुंडों, स्थानीय नेताओं, पहलवानों और भ्रष्ट पुलिस के बीच के जटिल रिश्तों की कहानी पेश करती है। यह फिल्म दर्शकों को एक ऐसे माहौल में ले जाती है, जहाँ लोग अपने लक्ष्यों को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।


फिल्म का परिचय

ऐश्वर्या ठाकरे की पहली फिल्म "निशानची" अब सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो चुकी है। निर्देशक अनुराग कश्यप ने हमेशा प्रतिभा को प्राथमिकता दी है, और जब उन्होंने ऐश्वर्या के साथ इस फिल्म की घोषणा की, तो यह स्पष्ट था कि उन्होंने उनमें कुछ खास देखा है।


कहानी का सार

कहानी

फिल्म की शुरुआत डबलू, बबलू (ऐश्वर्या ठाकरे) और रिंकू से होती है, जो एक बैंक लूटने की कोशिश में असफल हो जाते हैं। नर्तकी रिंकी और उसका मासूम भाई डबलू किसी तरह बच निकलते हैं, जबकि बबलू को पकड़ लिया जाता है और उसे 7 साल की सजा होती है।
कहानी 2000 के दशक के प्रारंभ में उत्तर प्रदेश के कानपुर में घटित होती है, जहाँ बबलू अपने चाचा की साज़िशों को समझ नहीं पाता और जेल में समय बिताता है। फिल्म में दो समय-सीमाएँ हैं, एक वर्तमान और दूसरी अतीत, जो बबलू के माता-पिता की प्रेम कहानी को उजागर करती है।


फिल्म की विशेषताएँ

कैसी है फिल्म

"निशानची" की शुरुआत एक प्रभावशाली दृश्य से होती है, जहाँ कानपुर में अज़ान और मंदिर की घंटियाँ एक साथ गूंजती हैं। यह फिल्म कश्यप के अनोखे दृष्टिकोण को दर्शाती है। ऐश्वर्या ठाकरे ने बबलू और डबलू के किरदार को बखूबी निभाया है।
फिल्म का एक प्रमुख आकर्षण विनीत कुमार सिंह और मोनिका पंवार का फ्लैशबैक सीक्वेंस है, जो दर्शकों को उनकी प्रेम कहानी में डुबो देता है। कलाकारों का प्रदर्शन इतना प्रभावशाली है कि दर्शक खुद को उनकी कहानी में खोया हुआ महसूस करते हैं।