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पाकिस्तान में कट्टरपंथियों का अल-अक्सा मार्च, इस्लामाबाद में इंटरनेट सेवाएं बंद

पाकिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) के 'लब्बैक या अक्सा मिलियन मार्च' के आयोजन के चलते इस्लामाबाद और रावलपिंडी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और सभी प्रवेश मार्गों को सील कर दिया गया है। इस स्थिति का कारण लाहौर में पुलिस और TLP कार्यकर्ताओं के बीच हुई हिंसक झड़प है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और TLP की प्रतिक्रिया।
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पाकिस्तान में कट्टरपंथियों का अल-अक्सा मार्च, इस्लामाबाद में इंटरनेट सेवाएं बंद

इस्लामाबाद में सुरक्षा के कड़े इंतजाम

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) द्वारा आयोजित 'लब्बैक या अक्सा मिलियन मार्च' के मद्देनजर सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। किसी भी प्रकार की हिंसा की संभावना को देखते हुए, राजधानी इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से निलंबित कर दी गई हैं। सभी प्रवेश और निकास मार्गों को कंटेनरों से बंद कर दिया गया है, जिससे यह क्षेत्र एक छावनी में तब्दील हो गया है।


यह तनावपूर्ण स्थिति गुरुवार को लाहौर में पुलिस और TLP कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प के बाद उत्पन्न हुई। TLP ने इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास के बाहर इजरायल के खिलाफ एक बड़े विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। इसे रोकने के लिए, पंजाब पुलिस ने TLP के प्रमुख साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार करने के लिए लाहौर में पार्टी के मुख्यालय पर छापा मारा। इस कार्रवाई के बाद हिंसा भड़क गई, जिसमें TLP कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पथराव किया और लोहे की रॉड से हमला किया।


पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस झड़प में 5 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। दूसरी ओर, TLP ने आरोप लगाया है कि पुलिस की कार्रवाई में उनके एक कार्यकर्ता की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद, TLP प्रमुख साद रिजवी अब तक गिरफ्तारी से बचने में सफल रहे हैं। लाहौर स्थित TLP मुख्यालय के आसपास भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है और इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है।


इस बीच, TLP ने सरकारी कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे मरियम नवाज की नेतृत्व वाली पंजाब सरकार का 'घिनौना हथकंडा' बताया है। TLP प्रवक्ता ने कहा कि हम एक शांतिपूर्ण 'लब्बैक या अक्सा मिलियन मार्च' निकालने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन सरकार ने निहत्थे कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किया। गाजा में यहूदी मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है और यहां उनके समर्थक मुसलमानों पर। ऐसा लगता है कि फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाना अब पाकिस्तान में अपराध बन गया है।