पिता और बेटी के रिश्ते पर आधारित 5 प्रेरणादायक फिल्में

पिता और बेटी की प्रेरणादायक कहानियाँ
आज के समय में, जब 'मिसेज' जैसी फिल्में महिलाओं की स्थिति को उजागर करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, कई पिता ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी बेटियों को स्वतंत्र और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समय के साथ, पालन-पोषण के तरीके में बदलाव आया है, लेकिन उनका उद्देश्य हमेशा यही रहा है कि बेटियाँ प्यार, सम्मान और स्वतंत्रता की हकदार हैं। आइए जानते हैं 5 ऐसी फिल्मों के बारे में जो पिता और बेटी के रिश्ते को खूबसूरती से दर्शाती हैं।
पीकू
फिल्म में अमिताभ बच्चन द्वारा निभाया गया भास्कर बनर्जी का किरदार शुरुआत में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन धीरे-धीरे वह दर्शकों का दिल जीत लेता है। वह एक अकेला पिता है जिसने अपनी बेटी पीकू को आत्मनिर्भर बनाया है, ताकि वह हर चुनौती का सामना कर सके। जब पीकू अपने पिता के लिए सब कुछ छोड़ देती है, तब यह स्पष्ट होता है कि वह अपने पिता की तरह ही है। यही इस फिल्म की खूबसूरती है।
बरेली की बर्फी
इस फिल्म में कृति सेनन द्वारा निभाई गई बिट्टी अन्य लड़कियों से अलग है। वह छोटे शहर में रहते हुए भी स्वतंत्रता से घूमती है और बेझिझक अपनी बात कहती है। उसके पिता नरोत्तम मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) उसकी सोच और आजादी को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे वह अपनी पसंद की जिंदगी जीने में सक्षम होती है।
यादें
यह फिल्म एक ऐसे पिता की कहानी है जो अपनी तीन बेटियों की परवरिश अकेले करता है। जैकी श्रॉफ द्वारा निभाया गया राज पुरी अपनी छोटी बेटी ईशा (करीना कपूर) के सबसे करीब होते हैं। ईशा की हिम्मत और सोच अपने पिता से ही आई है, जिन्हें उसने हमेशा संघर्ष करते देखा। राज अपनी जिम्मेदारियों से कभी पीछे नहीं हटते, और ईशा में भी वही गुण नजर आते हैं।
हम आपके हैं कौन
अनुपम खेर ने इस फिल्म में प्रोफेसर सिद्धार्थ चौधरी का किरदार निभाया है, जो अपनी बेटियों- निशा और पूजा को अच्छे संस्कार और स्वतंत्रता देते हैं। फिल्म के अंत में, वह अपनी बेटी की खुशी को सबसे ऊपर रखते हैं, और उनकी बेटी भी उन्हें निराश नहीं करती।
गोलमाल
इस फिल्म में उत्पल दत्त का किरदार मजेदार है, लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण संदेश भी छिपा है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक बेटी अपने पिता की तरह समझदार बनती है, जो उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है। पिता और बेटी की जोड़ी मिलकर समाज की नकारात्मक सोच से लड़ती है और हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़ी रहती है।