पूजा बेदी ने परफेक्शन की चाहत पर उठाए सवाल, सच्चाई को बताया प्राथमिकता

पूजा बेदी का नया दृष्टिकोण
अभिनेत्री पूजा बेदी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से समाज में परफेक्शन की चाहत रखने वालों पर सवाल उठाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब वह दिखावे की बजाय मानसिक शांति और सच्चाई को अधिक महत्व देती हैं। उनका मानना है कि प्रभावशाली दिखना आवश्यक नहीं है।
इंस्टाग्राम पर साझा किए गए अपने विचारों में, पूजा ने परफेक्शन के बारे में अपने दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने बताया कि समाज हमसे हर समय और हर जगह परफेक्ट होने की अपेक्षा करता है। चाहे वह दिखने में हो या काम में, कोई कमी न हो। लेकिन, उन्होंने यह भी कहा कि इस दबाव से बाहर निकलना जरूरी है। इसलिए, हमें वही चुनना चाहिए जो महत्वपूर्ण है, न कि प्रभावशाली दिखने की दौड़ में शामिल होना चाहिए।
पूजा ने कहा कि उन्हें सुनहरे पेन से डायरी लिखने या सुबह तक चमकते चेहरे के लिए किसी टॉनिक की आवश्यकता नहीं है। वह ऊर्जा को सुंदरता और उद्देश्य को प्रदर्शन से अधिक महत्व देती हैं। यह केवल नियंत्रण बनाम अराजकता नहीं है, बल्कि सोच-समझकर चुने गए रास्ते की बात है। परफेक्शन एक बदलता लक्ष्य है, जबकि प्राथमिकताएं एक दिशा-सूचक की तरह होती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि वह अब वही करती हैं जो उनके लिए सार्थक है, न कि परफेक्ट। प्राथमिकताएं उन्हें शांति देती हैं, जबकि परफेक्शन तनाव का कारण बनता है। कुछ दिन वह चमकती हैं, कुछ दिन ठोकर खाती हैं, लेकिन हमेशा उस दिशा में चलती हैं जो सही लगती है। यही उनके लिए महत्वपूर्ण है।
पूजा बेदी, अभिनेता कबीर बेदी की बेटी हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1991 में 'विषकन्या' से की थी। इसके बाद, वह आमिर खान के साथ 'जो जीता वही सिकंदर' में नजर आईं, जो उनकी सबसे यादगार फिल्मों में से एक मानी जाती है। इसके अलावा, उन्होंने 'लुटेरे' और 'आतंक ही आतंक' जैसी फिल्मों में भी काम किया है।