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प्रसिद्ध हास्य अभिनेता गोवर्धन असरानी का निधन, सिनेमा जगत में शोक की लहर

प्रसिद्ध हास्य अभिनेता गोवर्धन असरानी का निधन सोमवार को मुंबई में हुआ। 84 वर्ष की आयु में, उन्होंने लंबे समय से बीमारी का सामना किया। उनके निधन ने सिनेमा जगत को गहरा दुख पहुँचाया है। असरानी ने 350 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम किया और उन्हें 'शोले' में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है। जानें उनके जीवन, करियर और अंतिम संस्कार के बारे में अधिक जानकारी।
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प्रसिद्ध हास्य अभिनेता गोवर्धन असरानी का निधन, सिनेमा जगत में शोक की लहर

गोवर्धन असरानी का निधन

हास्य अभिनय के लिए जाने जाने वाले गोवर्धन असरानी, जिन्हें आमतौर पर असरानी के नाम से जाना जाता है, का सोमवार को मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज़ श्मशान घाट पर किया गया।


असरानी, जो एक बहुमुखी अभिनेता थे और निर्देशन में भी सक्रिय थे, को चार दिन पहले भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह जयपुर के मूल निवासी थे। उनके परिवार ने अंतिम संस्कार के बाद ही इस दुखद समाचार की पुष्टि की। उनके निजी सहायक बाबूभाई ने बताया कि असरानी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था क्योंकि उनके फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो गया था। उनका निधन 20 अक्टूबर को दोपहर लगभग 3:30 बजे हुआ।


अंतिम संस्कार की जल्दी

जब परिवार से पूछा गया कि अंतिम संस्कार इतनी जल्दी क्यों किया गया, तो उन्होंने बताया कि अभिनेता ने शांति से जाने की इच्छा व्यक्त की थी और अपनी पत्नी मंजू से कहा था कि उनकी मृत्यु को कोई बड़ा मुद्दा न बनाया जाए। इसी कारण परिवार ने उनके निधन के बारे में अंतिम संस्कार के बाद ही जानकारी दी।


असरानी का करियर

84 वर्ष की आयु में गोवर्धन असरानी का निधन हुआ। उनके निधन का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, जिससे प्रशंसक और फिल्म उद्योग शोक में हैं। उनके आकस्मिक निधन ने कई लोगों को चौंका दिया, खासकर जब उन्होंने उसी दिन दिवाली 2025 की शुभकामनाएँ साझा की थीं।


असरानी ने 350 से अधिक हिंदी फिल्मों में अभिनय किया और भारतीय सिनेमा के सबसे प्रिय हास्य अभिनेताओं में से एक माने जाते थे। उन्हें 'शोले' (1975) में जेलर की भूमिका के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है। अपने पांच दशकों के करियर में, उन्होंने हास्य और चरित्र भूमिकाओं में संतुलन बनाए रखा और एक ऐसी विरासत छोड़ी जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी.


प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत

गोवर्धन असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर, राजस्थान में एक मध्यमवर्गीय सिंधी हिंदू परिवार में हुआ। उन्होंने व्यवसाय या शिक्षा में रुचि नहीं दिखाई, बल्कि कला की ओर रुख किया और राजस्थान कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ऑल इंडिया रेडियो में वॉइस आर्टिस्ट के रूप में काम किया।


1960 के दशक की शुरुआत में, असरानी मुंबई चले गए और पुणे स्थित भारतीय फ़िल्म एवं टेलीविज़न संस्थान (FTII) से प्रशिक्षण लिया। उन्होंने 1966 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1967 में 'हरे कांच की चूड़ियाँ' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। उन्हें ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म 'सत्यकाम' (1969) से बड़ा ब्रेक मिला।


स्वर्णिम काल: 1970 से 1980 का दशक

1970 और 1980 का दशक असरानी के करियर का स्वर्णिम काल था। उन्होंने हर दशक में 100 से अधिक फ़िल्मों में काम किया, जो हिंदी सिनेमा में एक रिकॉर्ड है। वह राजेश खन्ना की फिल्मों में एक प्रमुख कलाकार बन गए और उनकी 25 फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें 'बावर्ची', 'नमक हराम' और 'महबूबा' जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।