प्रसिद्ध हास्य अभिनेता गोवर्धन असरानी का निधन, सिनेमा में 350 से अधिक फिल्में

गोवर्धन असरानी का निधन
नई दिल्ली: मशहूर कॉमेडियन गोवर्धन असरानी का सोमवार शाम को निधन हो गया। उन्होंने 84 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज श्मशान घाट पर किया गया, जहां केवल परिवार के सदस्य और करीबी लोग उपस्थित थे। जानकारी के अनुसार, असरानी की तबीयत पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं थी और वे अस्पताल में भर्ती थे। सोमवार शाम को जुहू के आरोग्य निधि अस्पताल में उनका निधन हुआ।
350 से अधिक फिल्मों में असरानी का योगदान
असरानी का करियर:
असरानी भारतीय सिनेमा के सबसे लंबे समय तक सक्रिय हास्य कलाकारों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने अपने 50 साल के करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) से अभिनय की शिक्षा ली और 1960 के दशक के मध्य में हिंदी फिल्म उद्योग में कदम रखा।
हालांकि, उन्होंने गंभीर भूमिकाओं से शुरुआत की, लेकिन उनकी हास्य प्रतिभा जल्दी ही सामने आई। 1970 और 1980 के दशक में, वह हिंदी सिनेमा के एक प्रमुख चेहरे बन गए, जहां उन्होंने अक्सर प्यारे मूर्ख, परेशान क्लर्क या मजेदार सहायक की भूमिकाएं निभाईं। उनकी कॉमिक टाइमिंग और चेहरे के भाव उन्हें निर्देशकों का पसंदीदा कलाकार बनाते थे।
उन्होंने ‘मेरे अपने’, ‘कोशिश’, ‘बावर्ची’, ‘परिचय’, ‘अभिमान’, ‘चुपके-चुपके’, ‘छोटी सी बात’, और ‘रफू चक्कर’ जैसी यादगार फिल्मों में शानदार प्रदर्शन किया। उनकी ‘शोले’ में निभाई गई सनकी जेलर की भूमिका आज भी दर्शकों की यादों में ताजा है। इसके अलावा, उन्होंने ‘भूल भुलैया’, ‘धमाल’, ‘ऑल द बेस्ट’, ‘वेलकम’, ‘आर… राजकुमार’ और ‘बंटी और बबली 2’ जैसी हिट फिल्मों में भी काम किया।
जयपुर से मुंबई तक का सफर
जीवन यात्रा:
1 जनवरी 1941 को जयपुर के एक सिंधी हिंदू परिवार में जन्मे असरानी ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की। उन्होंने 1960 से 1962 तक ललित कला भवन, ठक्कर से अभिनय की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वे मुंबई आए, जहां उनकी मुलाकात किशोर साहू और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे फिल्म निर्माताओं से हुई। उनके मार्गदर्शन में असरानी ने प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली और फिल्मों में कदम रखा। हिंदी फिल्मों के अलावा, असरानी ने गुजराती सिनेमा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वे न केवल एक बेहतरीन अभिनेता थे, बल्कि निर्देशन के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई। असरानी ने गुजराती और राजस्थानी समेत कई भाषाओं में काम किया और कुछ हिंदी और गुजराती फिल्मों का निर्देशन भी किया। उन्होंने महमूद, राजेश खन्ना और गोविंदा जैसे अभिनेताओं के साथ बेहतरीन कॉमेडी रोल निभाए।
कॉमेडी के अलावा, असरानी ने ‘आज की ताजा खबर’ और ‘चला मुरारी हीरो बनने’ जैसी फिल्मों में अपनी नाटकीय प्रतिभा भी दिखाई।
सिनेमा जगत में असरानी की विरासत
बॉलीवुड के इस महान कलाकार की विदाई ने सिनेमा जगत में एक बड़ा खालीपन छोड़ दिया है। उनकी अदाकारी, सहज हास्य और जीवंत संवाद डिलीवरी ने पीढ़ियों तक दर्शकों का मनोरंजन किया और अब वे यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे।