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प्राचीन कला केंद्र की रंगमंच कार्यशाला का सफल समापन

चंडीगढ़ में प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित रंगमंच कार्यशाला का सफल समापन हुआ। इस कार्यक्रम में बच्चों ने मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं और प्रसिद्ध नाटक 'द ब्लू अम्ब्रेला' का प्रदर्शन किया। कुमार सुमित के निर्देशन में आयोजित इस कार्यशाला ने बच्चों की प्रतिभा को निखारने का अवसर प्रदान किया। ओडिसी नृत्य की प्रस्तुतियों ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया। जानें इस कार्यक्रम के बारे में और भी जानकारी।
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प्राचीन कला केंद्र की रंगमंच कार्यशाला का सफल समापन

कार्यशाला का समापन और बच्चों की प्रस्तुतियाँ


  • रंगमंच एवं ओडिसी नृत्य कार्यशाला के समापन पर बच्चों द्वारा दी गई मनमोहक प्रस्तुतियां


(चंडीगढ़ समाचार) चंडीगढ़। हर साल की तरह इस वर्ष भी प्राचीन कला केंद्र ने सेक्टर 18 के मिनी टैगोर थिएटर में ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशाला का आयोजन किया। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों की गर्मी की छुट्टियों को मनोरंजक और शिक्षाप्रद बनाना था। मुंबई के अभिनेता और निर्देशक, प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार कुमार सुमित ने 8 से 15 वर्ष के लगभग 10 बच्चों को प्रशिक्षित किया, जिनमें कुछ वरिष्ठ प्रतिभागी भी शामिल थे। बच्चों को रंगमंच से जुड़ी गतिविधियों, संवाद अदायगी, और नाटक के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई।


कुमार सुमित का योगदान और नाटक की प्रस्तुति

इस कार्यशाला का संचालन प्रतिभाशाली कलाकार कुमार सुमित ने किया, जो अभिनेता, निर्देशक, रंगमंच कला शिक्षक और रिसर्च स्कॉलर हैं। उन्हें बचपन से रंगमंच में रुचि है और उन्होंने कई प्रसिद्ध नाटकों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। आज के नाटक "द ब्लू अम्ब्रेला" में प्रदीप्ति अनेजा, आनंदिता दत्त, जसलीन, सुखमन नागरा, टीना, अमायरा बख्शी, शारदा, नमन सिंह राणा, सम्राट दास रॉय, और अक्षत आहूजा ने भाग लिया।


इसके अलावा, जानी-मानी ओडिसी नृत्यांगना लीसा मोहंती के निर्देशन में आयोजित कार्यशाला का समापन भी हुआ, जिसमें लौरा शार्पोवा, अपरजिता वशिष्ट, अद्विता चामोत्रा, और एज़रा नरूला ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत ओडिसी नृत्य से हुई, जिसमें कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया।


नाटक की कहानी और संदेश

कुमार सुमित द्वारा निर्देशित नाटक "द ब्लू अम्ब्रेला" एक छोटे हिमालयी गांव की दिल को छू लेने वाली कहानी है, जिसमें बिन्या नाम की एक युवा लड़की अपनी खूबसूरत नीली छतरी को संजोकर रखती है। यह छतरी ग्रामीणों के बीच प्रशंसा और ईर्ष्या का कारण बनती है। नाटक में दयालुता, संतोष और जीवन की सरल खुशियों के विषयों को उजागर किया गया है।


बिन्या, जो गढ़वाल की एक युवा लड़की है, एक पर्यटक से अपनी छतरी के लिए भाग्यशाली आकर्षण का व्यापार करती है। हालांकि, उसकी छतरी उसकी बेशकीमती संपत्ति बन जाती है, लेकिन जब ग्रामीण, विशेष रूप से एक ईर्ष्यालु दुकानदार, उसकी ईर्ष्या से प्रतिक्रिया करते हैं, तो उसका दिल टूट जाता है। अंततः, पर्यटक उसे छतरी उपहार में देता है, जिससे वह अपनी नई संपत्ति को रख सकती है।


यह कहानी ईर्ष्या, सामाजिक गतिशीलता और भौतिक मूल्यों के बीच संघर्ष को दर्शाती है। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट प्रदान किए गए और दोनों गुरुओं को पुष्प भेंट किए गए।


कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस कार्यक्रम में दिल्ली के ICCR प्रोग्राम डायरेक्टर श्री संजय वेदी, केंद्र की रजिस्ट्रार गुरु शोभा कौसर, सचिव श्री सजल कौसर, और डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ समीरा कौसर भी उपस्थित थे।