फिल्म 'सैयारा': एक नई रोमांटिक कहानी का जादू

फिल्म की कहानी और निर्देशन
कहानी और स्क्रीनप्ले का लेखन संकल्प सदाना ने किया है। फिल्म में जादू भरने के लिए हर विभाग ने रचनात्मक योगदान दिया है, चाहे वह मोहित सूरी का निर्देशन हो, फिल्म का संगीत, विकास सिवरमन की सिनेमैटोग्राफी या जॉन स्टेवर्ट एडुरी का बैकग्राउंड स्कोर। इसके साथ ही, नवोदित कलाकारों का अभिनय इसे बेहतरीन फिल्मों की श्रेणी में लाता है। रोमांटिक फिल्मों के क्षेत्र में मोहित सूरी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
सिने-सोहबत
आज के सिने-सोहबत में ताज़ा फिल्म 'सैयारा' है, जिसने देशभर के सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ जुटा दी है। इस फिल्म के प्रति दर्शकों का उत्साह यह दर्शाता है कि 'रोमांस' हमारे लिए एक स्थायी भावना है। सरल कहानी, दिल को छू लेने वाला संगीत, कई इमोशनल पल, उत्कृष्ट निर्देशन, खूबसूरत शॉट्स और सभी कलाकारों का प्रभावशाली प्रदर्शन इसे खास बनाते हैं। मोहित सूरी ने पहले भी 'आशिकी 2' से लेकर 'एक विलेन' तक कई प्रेम कहानियों पर फिल्में बनाई हैं। प्रेम कहानियां हमेशा से बॉलीवुड के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व रही हैं।
इस फिल्म का निर्माण यश राज स्टूडियोज ने किया है, जो दशकों से लव स्टोरीज में माहिर है।
हालांकि, 'सैयारा' की कहानी में कुछ नया नहीं है, जो आपने पहले कभी नहीं देखा हो। लॉजिक के दृष्टिकोण से, कहानी में कई छोटी-बड़ी दिक्कतें हैं, लेकिन फिल्म के माहौल और पलों ने इसे एक जादुई अनुभव में बदल दिया है। मोहित सूरी ने अपने किरदारों के प्यार को पर्दे पर इस तरह से प्रस्तुत किया है कि दर्शक लगातार जुड़े रहते हैं। खासकर, पहले भाग में स्क्रीनप्ले बहुत मजबूत है।
कृष और वाणी का अतीत, उन्हें भुलाकर प्यार में पड़ना और अपने सपनों की ओर बढ़ने का सफर बेहतरीन है। इस बीच 'धुन...', 'हमसफर...', 'हो ना जाए प्यार...' जैसे सुरीले गाने कहानी की खूबसूरत दुनिया को और भी आकर्षक बनाते हैं। इंटरवल के बाद कहानी थोड़ी डगमगाती है, लेकिन मोहित सूरी अपनी निर्देशकीय कौशल से इसे संभाल लेते हैं।
कहानी की शुरुआत वाणी बत्रा (अनीत पड्डा) से होती है, जिसकी शादी टूट गई है और उसका दिल भी। वह अपने जज्बातों को गानों के जरिए डायरी में लिखती है। सब कुछ भुलाने की कोशिश में वाणी एक मीडिया कंपनी में क्रिएटिव जॉब की तलाश में जाती है, जहां उसकी मुलाकात क्रिश कपूर (अहान पांडे) से होती है। अहान उस शख्स की पिटाई करता है जिसने उसके म्यूजिक बैंड का नाम केवल एक 'नेपो किड' के रूप में लिया।
क्रिश का सपना है कि वह संगीत की दुनिया में बड़ा स्टार बने। मीडिया कंपनी में वाणी से मिलने के बाद, वह उसकी खूबसूरती और जज़्बात भरे गीतों से प्रभावित होता है। दोनों के बीच प्यार पनपता है, लेकिन एक दिन वाणी को पता चलता है कि उसे अल्जाइमर है। वह धीरे-धीरे सब कुछ भूल जाएगी। प्यार और सुपरस्टार बनने के सपने के बीच क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
कहानी और स्क्रीनप्ले का लेखन संकल्प सदाना ने किया है। फिल्म के हर विभाग ने जादू भरने में योगदान दिया है, चाहे वह मोहित सूरी का निर्देशन हो, फिल्म का संगीत, विकास सिवरमन की सिनेमैटोग्राफी या जॉन स्टेवर्ट एडुरी का बैकग्राउंड स्कोर। नवोदित कलाकारों का अभिनय इसे बेहतरीन फिल्मों की श्रेणी में लाता है। मोहित सूरी ने नए कलाकारों अहान और अनीत से बेहतरीन काम निकलवाने में सफलता पाई है। इरशाद कामिल, मिथुन, राज शेखर, ऋषभ कांत के लिखे गीत दिल को छूते हैं। देवेंद्र मुर्देश्वर और रोहित मकवाना की फिल्म की एडिटिंग चुस्त है।
'सैयारा' वास्तव में ऐसे सितारे को दर्शाता है जो तारों के बीच कुछ पाने के लिए भाग रहा है और अपनी चमक से दूसरों की जिंदगियों को रोशन कर रहा है। अनीत और अहान दोनों ही अपने अभिनय से इस फिल्म को रोशन करते हैं।
दोनों नए कलाकार भावनात्मक दृश्यों में सहज लगते हैं। क्लाइमेक्स में वाणी को अपना नाम याद दिलाने वाला दृश्य भावुक कर देता है।
वाणी के पात्र के लिए जो मासूमियत चाहिए, उसे अनीत पड्डा बखूबी निभाती हैं। 'सलाम वेंकी' में काम कर चुकीं अनीत इस फिल्म के केंद्र में हैं और इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाती हैं।
अगर फिल्म की कुछ कमियों की बात करें, तो क्लाइमेक्स को जल्दीबाजी में खत्म किया गया है। सपोर्टिंग कास्ट को और अधिक मौके नहीं देना भी एक कमी है। राजेश कुमार और वरुण बडोला जैसे उम्दा कलाकारों को और स्क्रीन टाइम मिलना चाहिए था। क्रिश के दोस्त केवी के रोल में आलम खान प्रभावित करते हैं, लेकिन उनका रोल और बेहतर लिखा जा सकता था।
फिल्म का संगीत इसके जादू को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इरशाद कामिल का लिखा टाइटल ट्रैक 'सैयारा' फिल्म की जान है, जो थिएटर से निकलने के बाद भी याद रहता है।
अभिनय की बात करें तो इस फिल्म से इंडस्ट्री में दो युवा चेहरों ने दस्तक दी है। अहान पांडे ने कृष के किरदार में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। शुरुआत में उनके किरदार में एक 'रिबेल विदाउट अ कॉज़' जैसा ब्रैट लगता है, लेकिन कहानी के आगे बढ़ने के साथ उनके इमोशनल रंग भी उभरते हैं। अभिनेत्री अनीत का अभिनय काबिल-ए-गौर है। उन्होंने अपने किरदार में मासूमियत, सच्चाई, डर और संघर्ष को बखूबी निभाया है और दर्शकों का दिल जीतने में सफल रही हैं।
कुल मिलाकर, 'सैयारा' ने दर्शकों की नई पीढ़ी को उनके दो नए सितारों से परिचित कराया है। इस फिल्म ने एक बार फिर मोहब्बत से मोहब्बत में रहने की प्रेरणा दी है। अगर 'मोहब्बत' जीवन का 'वे ऑफ लाइफ' बन जाए, तो जिंदगी और आस-पास की दुनिया कितनी खूबसूरत लगती है!
'सैयारा' आपके नज़दीकी सिनेमाघरों में है। देखना न भूलें। (पंकज दुबे पॉप कल्चर स्टोरीटेलर और चर्चित यूट्यूब चैट शो, “स्मॉल टाउन्स बिग स्टोरिज़” के होस्ट हैं।)