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फिल्म 'हक' ने बॉक्स ऑफिस पर मचाई धूम, कमाई में लगातार बढ़ोतरी

फिल्म 'हक' ने अपने पहले वीकेंड में शानदार प्रदर्शन किया है, जिसमें इसकी कमाई लगातार बढ़ती जा रही है। यामी गौतम और इमरान हाशमी की जोड़ी ने इस गंभीर विषय को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। जानें फिल्म की कहानी, बॉक्स ऑफिस कलेक्शन और इसके सामाजिक संदेश के बारे में।
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फिल्म 'हक' ने बॉक्स ऑफिस पर मचाई धूम, कमाई में लगातार बढ़ोतरी

फिल्म 'हक' की सफलता की कहानी


मुंबई: कंटेंट-आधारित सिनेमा के इस युग में, 'हक' जैसी गंभीर विषय पर आधारित फिल्म ने अपनी प्रभावशाली कहानी और बेहतरीन अभिनय के जरिए दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया है। सुपर्ण एस वर्मा द्वारा निर्देशित यह फिल्म 1985 के ऐतिहासिक शाहबानो केस से प्रेरित है, जिसने भारत में महिला अधिकारों और समान नागरिक संहिता पर महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया था।


यामी गौतम और इमरान हाशमी की जोड़ी ने इस संवेदनशील मुद्दे को भावनाओं और यथार्थता के साथ पर्दे पर जीवंत किया है। फिल्म ने रविवार, 9 नवंबर को अपने तीसरे दिन ₹3.75 करोड़ की कमाई की, जिससे इसका कुल वीकेंड कलेक्शन ₹8.85 करोड़ तक पहुंच गया।


'हक' का तीसरे दिन का बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन

फिल्म ने शुक्रवार को ₹1.75 करोड़ की ओपनिंग की, जबकि शनिवार को इसकी कमाई बढ़कर ₹3.35 करोड़ हो गई। दूसरे दिन की तुलना में पहले दिन की कमाई में 91.43 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रविवार को यह रफ्तार और तेज हो गई, जो दर्शाती है कि दर्शकों की रुचि फिल्म में लगातार बढ़ रही है।


ट्रेड वेबसाइट सैकनिल्क के अनुसार, रविवार को 'हक' की ऑल इंडिया हिंदी ऑक्यूपेंसी 23.60 प्रतिशत रही।



  • सुबह के शो: 9.54 प्रतिशत

  • दोपहर के शो: 24.56 प्रतिशत

  • शाम के शो: 35.98 प्रतिशत

  • रात के शो: 24.30 प्रतिशत


फिल्म की कमाई और बजट

फिल्मीबीट की रिपोर्ट के अनुसार, 'हक' का अनुमानित बजट ₹40 करोड़ है। थिएटर वितरण और राइट्स वैल्यू के अनुसार, फिल्म को लगभग ₹24 करोड़ की रिकवरी करनी होगी ताकि यह ब्रेक-ईवन पॉइंट पर पहुंच सके। पहले तीन दिनों में फिल्म की स्थिर प्रगति इस बात का संकेत देती है कि यदि यही रफ्तार अगले सप्ताह भी बनी रही, तो फिल्म आसानी से अपना बजट निकाल सकती है।


'हक' एक 62 वर्षीय मुस्लिम महिला की कहानी है, जो तलाक के बाद गुजारा भत्ता (मेंटेनेंस) के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाती है। यह कहानी भारत के सामाजिक और धार्मिक ढांचे में महिला अधिकारों की स्थिति को दर्शाती है। फिल्म में भावनाओं, कानून और समाज के टकराव को बड़ी संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया गया है।