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भारत का युवा कार्यबल: 2047 में वैश्विक अवसरों का सामना

एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2047 तक भारत का युवा कार्यबल वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विकसित देशों में जनसंख्या वृद्ध होने के कारण कार्यबल की कमी होगी, और भारत के युवा इस कमी को पूरा कर सकते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत को अपने युवाओं को आवश्यक कौशल प्रदान करने की आवश्यकता है, ताकि वे भविष्य के नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें। जानें इस अवसर का लाभ उठाने के लिए क्या कदम उठाने होंगे।
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भारत का युवा कार्यबल: 2047 में वैश्विक अवसरों का सामना

भारत के युवा कार्यबल का महत्व

एक ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जहाँ जापान, जर्मनी और इटली जैसे विकसित देशों में युवा कार्यबल की कमी हो सकती है। यह कोई काल्पनिक परिदृश्य नहीं है, बल्कि भविष्य की एक वास्तविकता है, जिसमें भारत के लिए एक सुनहरा अवसर छिपा है। एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 2047 तक, जब भारत अपनी स्वतंत्रता का 100वां वर्ष मनाएगा, कई प्रमुख देशों की जनसंख्या वृद्ध हो चुकी होगी और वहां कार्यबल की भारी कमी होगी। इस कमी को पूरा करने की क्षमता भारत के युवा कार्यबल में निहित है।


क्यों होगा भारत की आवश्यकता? ईवाई (EY) और सीआईआई (CII) द्वारा प्रस्तुत "इंडिया@100" रिपोर्ट के अनुसार, इस परिवर्तन के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं: विकसित देशों की बढ़ती उम्र, जैसे जापान और कई यूरोपीय देशों में जन्म दर में कमी आई है, जिससे उनकी जनसंख्या वृद्ध हो रही है। दूसरी ओर, भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है, जहाँ युवा जनसंख्या काम करने और सीखने के लिए तत्पर है।


चीन, जो पहले दुनिया की 'फैक्ट्री' के रूप में जाना जाता था, अब खुद वृद्ध हो रहा है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2047 तक, दुनिया की कुल कार्यशील जनसंख्या में हर पांचवां व्यक्ति (20%) भारतीय होगा।


इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? यह अवसर जितना बड़ा है, उतनी ही बड़ी चुनौती भी है। हमें अपने युवाओं को केवल डिग्री देने से आगे बढ़कर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना होगा।


रिपोर्ट के अनुसार, भारत को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे: स्किल, स्किल और केवल स्किल। हमें युवाओं को केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि उन व्यावहारिक कौशलों की शिक्षा देनी होगी जो भविष्य के नौकरी बाजार में आवश्यक होंगी, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स, ग्रीन एनर्जी और एडवांस मैन्युफैक्चरिंग।


इसके अलावा, हमें एक ऐसी संस्कृति विकसित करनी होगी जहाँ लोग जीवनभर कुछ नया सीखते रहें, क्योंकि तकनीक हर दिन बदल रही है। यदि हम यह कर पाते हैं, तो 2047 में जब दुनिया भर की कंपनियों को प्रतिभाशाली युवाओं की आवश्यकता होगी, तो उनकी पहली पसंद 'मेड इन इंडिया' टैलेंट होगा। भारत केवल दुनिया का ऑफिस नहीं, बल्कि दुनिया का 'ब्रेन' भी बन सकता है।