भारत में खाद्य और दवा गुणवत्ता की निगरानी में कमी

खाद्य सुरक्षा और दवा मानक प्राधिकरण
भारत में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की देखरेख के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की स्थापना 2006 में हुई थी। यह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। इसी तरह, दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) भी इसी मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अमेरिका में, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) खाद्य और दवाओं की गुणवत्ता की देखरेख करता है, यह सुनिश्चित करता है कि सभी उत्पाद मानकों के अनुरूप हों।
डीईजी से हुई मौतों का इतिहास
लगभग 90 साल पहले, 1937 में अमेरिका में डाईथीलिन ग्लाइकॉल (डीईजी) के कारण एक सौ से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। इसके बाद, फेडरल फूड, ड्रग और कॉस्मेटिक एक्ट पारित हुआ और एफडीए की स्थापना हुई। तब से, अमेरिका में खाद्य और दवा की गुणवत्ता की निगरानी में सुधार हुआ है।
भारत में हालात
भारत में भी ऐसी एजेंसियां हैं, जिनका उद्देश्य ऐसी घटनाओं को रोकना है। लेकिन हाल ही में, विभिन्न राज्यों में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौतों की घटनाएं सामने आई हैं। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 20 बच्चों की जान गई है। यह कफ सिरप वास्तव में उसी डीईजी से मिलावटी है, जिससे अमेरिका में मौतों पर रोक लगाई गई थी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समस्याएं
भारत में बनी कफ सिरप के कारण उज्बेकिस्तान में 65 और गाम्बिया में 66 बच्चों की मौतें हुई थीं। आमतौर पर माना जाता है कि घरेलू उत्पादों की गुणवत्ता में कमी आती है, जबकि निर्यात के लिए बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है। फिर भी, दो देशों में जहरीले कफ सिरप की आपूर्ति की खबरें आई हैं।
जवाबदेही का सवाल
इस स्थिति में, क्या सीडीएससीओ को जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए? भारत में नकली दवाओं का कारोबार खुलेआम हो रहा है, लेकिन केंद्रीय एजेंसी पर कोई सवाल नहीं उठता। राज्यों में भी एजेंसियों की कार्यप्रणाली कमजोर है।
खाद्य सुरक्षा की स्थिति
भारत में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता भी चिंताजनक है। फलों में मिलावट, सब्जियों पर खतरनाक रसायनों का छिड़काव, और दूध में मिलावट जैसी समस्याएं आम हैं। इससे लोगों में गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
स्वास्थ्य प्रणाली की चुनौतियाँ
भारत की स्वास्थ्य प्रणाली कमजोर है और अधिकांश लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है। इस कारण, बीमारियां केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करतीं, बल्कि आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर डालती हैं।
आवश्यकता
भारत में एक मजबूत खाद्य और दवा नियामक की आवश्यकता है, जो कानूनी अधिकार और संसाधनों से लैस हो। इसके साथ ही, ऐसे अधिकारियों की भी आवश्यकता है जो भ्रष्टाचार से दूर रहकर खाद्य और दवा के उत्पादन और व्यापार को नियंत्रित कर सकें।