भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज गति: 6.5% जीडीपी वृद्धि और रिकॉर्ड निर्यात

भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती
नई दिल्ली: वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है और यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन चुकी है। वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5% की शानदार जीडीपी वृद्धि, रिकॉर्ड निर्यात और नियंत्रित मुद्रास्फीति ने भारत की आर्थिक स्थिति को और मजबूत किया है।
विकास की गति
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रगति का एक महत्वपूर्ण चालक बनी हुई है। घरेलू विकास कारकों की मजबूती, बेहतर मैक्रोइकोनॉमिक मूलभूत तत्व और सूझबूझ भरी नीतियों के कारण विकास की गति में तेजी आई है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि यह विकास की गति 2025-26 में भी जारी रहेगी।
महंगाई में कमी
अर्थव्यवस्था के लिए एक और सकारात्मक संकेत मुद्रास्फीति में कमी है। मई 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दर घटकर 2.82% पर आ गई, जो फरवरी 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भी कमी आई है, जहां उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) केवल 0.99% दर्ज किया गया, जो अक्टूबर 2021 के बाद की सबसे कम खाद्य मुद्रास्फीति है।
विदेशी मोर्चे पर सफलता
भारत का बाहरी क्षेत्र अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है। 2024-25 में भारत का कुल निर्यात 824.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नए शिखर पर पहुंच गया, जो 2013-14 के 466.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 77% की वृद्धि दर्शाता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में भी वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 14 प्रतिशत बढ़कर 81.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह 2013-14 में मिले 36.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर के दोगुने से भी अधिक है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 20 जून, 2025 तक 697.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर था, जो 11 महीने से अधिक के आयात के लिए पर्याप्त है।
बाजार में विश्वास
भारतीय पूंजी बाजार में निवेशकों का विश्वास उच्चतम स्तर पर है। खुदरा निवेशकों की संख्या 2019 में 4.9 करोड़ से बढ़कर 2024 के अंत तक 13.2 करोड़ हो गई। इसके अलावा, वैश्विक आईपीओ लिस्टिंग में भारत की हिस्सेदारी 2024 में बढ़कर 30% हो गई, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
संक्षेप में, भारत ने उच्च विकास दर और मूल्य स्थिरता के बीच एक सफल संतुलन बनाया है। मजबूत बुनियादी सिद्धांतों के साथ, भारत वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और एक सुदृढ़ भविष्य के निर्माण के लिए अच्छी स्थिति में है।