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भूल चूक माफ: राजकुमार राव और वामिका गब्बी की जोड़ी ने मचाई धूम

फिल्म 'भूल चूक माफ' ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है, जिसमें राजकुमार राव और वामिका गब्बी की जोड़ी दर्शकों को भा रही है। निर्देशक करण शर्मा और लेखक हैदर रिजवी ने मिलकर एक अनोखी कहानी पेश की है, जिसमें टाइम लूप की अवधारणा को भारतीय दर्शकों के लिए रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। बनारसी संस्कृति का जादू और शानदार अभिनय ने इस फिल्म को खास बना दिया है। जानें हैदर रिजवी के सफर और फिल्म के पीछे की कहानी के बारे में।
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भूल चूक माफ: राजकुमार राव और वामिका गब्बी की जोड़ी ने मचाई धूम

फिल्म की सफलता का राज

भूल चूक माफ: हैदर रिजवी की खास बातचीत: हाल ही में प्रदर्शित हुई फिल्म 'भूल चूक माफ' ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है। इस फिल्म में राजकुमार राव और वामिका गब्बी की जोड़ी दर्शकों को बेहद पसंद आ रही है। करण शर्मा द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी को हैदर रिजवी और करण ने मिलकर लिखा है। एक विशेष बातचीत में हैदर ने फिल्म की कहानी और उसके निर्माण की चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया।


हैदर रिजवी ने साझा किया कि 'भूल चूक माफ' का मूल विचार निर्देशक करण शर्मा का था। करण एक अनोखी कहानी पर फिल्म बनाना चाहते थे। उन्होंने कहा, 'हम दोनों अच्छे दोस्त हैं। हमने मिलकर कहानी पर काम किया और धीरे-धीरे स्क्रिप्ट तैयार की।' इस दोस्ती ने कहानी को और भी खास बना दिया।


हिंदी दर्शकों के लिए खास क्या?

हिंदी दर्शकों के लिए खास क्या?


जब हैदर से पूछा गया कि हिंदी दर्शकों को यह कहानी कैसे आकर्षित करेगी, तो उन्होंने बताया कि टाइम लूप की अवधारणा को भारतीय दर्शकों के लिए प्रस्तुत करना सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा, 'हॉलीवुड में टाइम लूप पर कई फिल्में बनी हैं, लेकिन बॉलीवुड में यह एक नया कॉन्सेप्ट है। हमारा उद्देश्य था कि कहानी ऐसी हो जो दर्शकों को अजीब न लगे और वे इससे जुड़ सकें।' हैदर और करण ने मिलकर कहानी को रोचक और स्वाभाविक बनाने के लिए काफी मेहनत की।


फिल्म में बनारसी संस्कृति का जादू

फिल्म में चल बनारसी टच का जादू


फिल्म में बनारस की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। हैदर ने बताया, 'करण ने कहा कि वह फिल्म को बनारस में सेट करना चाहते हैं। मैंने कहा, अगर बनारस है तो स्क्रिप्ट में बनारसी ह्यूमर और बातचीत का अंदाज होना चाहिए।' बनारस के घाटों को केवल बैकग्राउंड नहीं बनाया गया, बल्कि पूरी फिल्म में बनारसी संस्कृति को विशेष तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह टच दर्शकों को बहुत भा रहा है।


हैदर का सफर

हैदर का सफर भी कम रोचक नहीं है


हैदर का सफर भी कम दिलचस्प नहीं है। उन्होंने बताया कि बचपन में उन्हें क्रिएटिव फिल्मों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उनके पिता उन्हें कभी फिल्में देखने नहीं देते थे। 'मैं इंजीनियर हूं और पहले आईटी कंपनी में काम करता था। लेखन का शौक धीरे-धीरे जुनून बन गया।' हैदर का यह परिवर्तन उनकी मेहनत और लगन को दर्शाता है।


हैरान करने वाला खुलासा

हैरान करने वाला खुलासा


जब हैदर से पूछा गया कि फिल्म रिलीज के बाद कौन सा सीन वे और बेहतर करना चाहेंगे, तो उनका जवाब चौंकाने वाला था। 'मैंने यह फिल्म नहीं देखी। मैं अपनी कोई भी रिलीज हुई फिल्म नहीं देखता।' 'भूल चूक माफ' की सफलता दर्शकों के प्यार का परिणाम है। बनारसी टच, टाइम लूप की अनोखी कहानी और शानदार अभिनय ने इसे खास बना दिया है। यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि भारतीय सिनेमा में नए प्रयोगों की दिशा भी दिखाती है।