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महाराष्ट्र में मराठी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक, छात्रों की संख्या 10 से कम

महाराष्ट्र में सरकारी मराठी स्कूलों की स्थिति गंभीर हो गई है, जहां 7,420 स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 से भी कम रह गई है। यह जानकारी शिक्षा विभाग की रिपोर्ट से सामने आई है, जिससे शिक्षकों में चिंता बढ़ गई है। यदि ये स्कूल बंद होते हैं, तो बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर जाना पड़ेगा, जिससे उनकी शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन होगा। क्या सरकार इन स्कूलों को बंद करने का निर्णय लेगी? जानें पूरी कहानी में।
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महाराष्ट्र में मराठी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक, छात्रों की संख्या 10 से कम

मराठी स्कूलों में छात्रों की कमी

महाराष्ट्र के शिक्षा विभाग में हिंदी और मराठी शिक्षा को लेकर चल रहे विवाद के बीच, एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। राज्य में 7,420 सरकारी मराठी स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 से भी कम रह गई है। यह जानकारी शिक्षा विभाग की जून 2025 की रिपोर्ट से प्राप्त हुई है। 20 से कम विद्यार्थियों की संख्या के कारण इन स्कूलों के बंद होने का खतरा बढ़ गया है, जिससे शिक्षक चिंतित हैं। यदि ये स्कूल बंद होते हैं, तो बच्चों को पढ़ाई के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा, जिससे उनकी शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है.


शिक्षकों की चिंताएं

शिक्षकों का मानना है कि केवल छात्र संख्या के आधार पर स्कूलों को बंद करना बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन होगा। प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बालासाहेब मरणे ने कहा कि छात्रों की कमी के कारण स्कूलों को बंद करने का विचार गलत है। सरकार को बच्चों के भविष्य पर ध्यान देना चाहिए, न कि केवल आंकड़ों पर.


क्या शिक्षा का अधिकार प्रभावित होगा?

शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, कानून के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई के लिए हर बच्चे के घर से एक किलोमीटर के दायरे में स्कूल होना आवश्यक है। यदि स्कूल बंद होते हैं, तो यह नियम भी टूट जाएगा। राज्य सरकार के हालिया आंकड़ों के अनुसार, 7,000 से अधिक स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में सरकार इन स्कूलों का 'पुनर्गठन' कर सकती है। हालांकि, शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों की मांग है कि इन स्कूलों को बंद नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह लाखों बच्चों की शिक्षा को प्रभावित करेगा.