मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड मेडल

मीनाक्षी हुड्डा की ऐतिहासिक जीत
रोहतक की मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है। इंग्लैंड में आयोजित फाइनल में, मीनाक्षी ने कजाकिस्तान की चार बार की वर्ल्ड चैंपियन नाजिम काइजेबे को 4:1 से हराकर न केवल जीत हासिल की, बल्कि जुलाई में वर्ल्ड कप फाइनल में मिली हार का भी बदला लिया। इस सफलता ने मीनाक्षी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर दिया है। उनके गांव रुड़की में इस ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाया जा रहा है, जहां उनके माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू हैं और पूरे गांव को अपनी बेटी पर गर्व है।
माता-पिता का संघर्ष और समर्थन
मीनाक्षी के पिता, श्रीकृष्ण, एक ऑटो चालक हैं। फाइनल मुकाबले के दौरान, वह ऑटो चला रहे थे और उन्हें बेटी की जीत की सूचना उनके बेटे ने दी। मीनाक्षी की मां, सुनीता, ने बताया कि 2013 में जब मीनाक्षी ने बॉक्सिंग में करियर बनाने की इच्छा जताई, तब परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। खेलना उनके लिए एक सपना था, लेकिन सुनीता ने बेटी की जिद को समझा और पति से छिपाकर उसे खेल के लिए प्रोत्साहित किया।
जैसे-जैसे मीनाक्षी ने मेडल जीतना शुरू किया, उनके पिता ने भी उनका पूरा समर्थन किया। वह दिनभर ऑटो चलाने के बाद शाम को मीनाक्षी के लिए फल लाते ताकि उसकी डाइट सही रहे। उनके कोच विजय ने भी मीनाक्षी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जरूरत पड़ने पर संसाधन उपलब्ध कराए।
12 साल की मेहनत का फल
मीनाक्षी ने 12 वर्षों की कठिन मेहनत और अनुशासन से यह उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने लीग मुकाबले में जीत के साथ शुरुआत की, प्री-क्वार्टर फाइनल में चीन की वांग क्यूपिंग को 5:0 से हराया, क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड की एलीस पम्फ्रे को 5:0 से मात दी, और सेमीफाइनल में मंगोलिया की अल्तात्सेत्सेग लुत्सेखान को 5:0 से हराया।
फाइनल में नाजिम को हराकर उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया। मीनाक्षी रोहतक की पहली बेटी हैं, जिन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। उनके कोच विजय का कहना है कि यह जीत भारत के बॉक्सिंग भविष्य की मजबूत नींव है। मीनाक्षी के माता-पिता को उम्मीद है कि उनकी बेटी ओलंपिक में भी देश के लिए स्वर्ण पदक जीतेगी।