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रामबहादुर राय: पत्रकारिता के अनूठे नायक की यात्रा

रामबहादुर राय, एक बौद्धिक योद्धा, जिन्होंने पत्रकारिता में अपनी पहचान बनाई है, की यात्रा को जानें। उनकी नई किताब 'रामबहादुर राय: चिंतन के विविध आयाम' उनके योगदान और विचारों को उजागर करती है। इस लेख में उनके जीवन, संघर्ष और पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का विस्तृत वर्णन है।
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रामबहादुर राय: पत्रकारिता के अनूठे नायक की यात्रा

दिल्ली में बौद्धिक योद्धा का जीवन

दिल्ली में भारत का बौद्धिक योद्धा: श्री रामबहादुर राय, जो जनांदोलनों से जुड़े रहे हैं, पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे सम्मानों से सम्मानित, एक रचनात्मकता और संघर्ष की यात्रा पर हैं। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय पत्रकारिता में बिताया है, जिससे वे एक संगठनकर्ता, आंदोलनकारी, और महान पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं। उनके लेखन में उनके समय के नायकों के साथ संवाद का गहरा प्रभाव है। आज के समय में, उनकी उपस्थिति हमें यह विश्वास दिलाती है कि पत्रकारिता की प्रामाणिकता अभी भी जीवित है।


जयप्रकाश आंदोलन के नायक

जयप्रकाश आंदोलन के नायक: 4 फरवरी, 1946 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में जन्मे श्री राय पत्रकारिता में शुचिता और पवित्रता के प्रतीक हैं। वे एक लेखक, संपादक, और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने भारतीय जीवन मूल्यों को अपने कार्यों में उतारा है। उन्होंने हमेशा सच को लिखा और कहा, चाहे उनके संबंध राजनीति के शीर्ष पर क्यों न हों। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर, वे छात्र राजनीति में सक्रिय रहे और जयप्रकाश आंदोलन के प्रमुख नायकों में से एक रहे।


प्रमुख कृतियाँ

प्रमुख कृतियाँ: उनकी कई चर्चित किताबें हैं, जो आजादी के बाद के भारत की राजनीति और समाज को दर्शाती हैं। इनमें 'भारतीय संविधान: एक अनकही कहानी', 'रहबरी के सवाल', और 'मंजिल से ज्यादा सफर' शामिल हैं। रामबहादुर राय आज भी पत्रकारिता की उजली परंपरा के प्रतीक हैं, और उनकी सोच में बदलाव की चेतना जीवित है।


नई किताब 'रामबहादुर राय: चिंतन के विविध आयाम'

नई किताब: प्रो. कृपाशंकर चौबे द्वारा लिखी गई नई किताब 'रामबहादुर राय: चिंतन के विविध आयाम' उनके योगदान को बखूबी दर्शाती है। यह किताब उनके व्यक्तित्व, रचनाओं और संबंधों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को समझने का एक बेहतरीन माध्यम है।


पत्रकारिता में आलोचना की परंपरा

पत्रकारिता में आलोचना: यह किताब हमें पत्रकारिता के व्यक्तित्व की आलोचना का पाठ भी सिखाती है। हिंदी पत्रकारिता में आलोचना की परंपरा बहुत समृद्ध नहीं है, और यह किताब इस कमी को पूरा करने का प्रयास करती है।


संघर्ष और सरोकार

संघर्ष और सरोकार: पहले अध्याय में उनके बचपन, शिक्षा और छात्र राजनीति में सक्रियता का वर्णन है। यह अध्याय उनके आंदोलनकारी पक्ष को उजागर करता है।


राजनीतिक संवाद

राजनीतिक संवाद: दूसरे अध्याय में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जीवनी पर चर्चा की गई है, जो राजनीति और समाज के संदर्भों की अनोखी व्याख्या प्रस्तुत करती है।


लोकधर्म का पालन

लोकधर्म का पालन: रामबहादुर राय ने अपनी पत्रकारिता में आदर्शों और लोकधर्म का पालन किया है। यह किताब उनके जीवन और कार्यों को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन है।