राहुल गांधी और खड़गे का लाल किला समारोह में न जाना: कांग्रेस को हुआ नुकसान

कांग्रेस नेताओं का लाल किला समारोह में न जाना
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे स्वतंत्रता दिवस के समारोह में लाल किला नहीं पहुंचे। दोनों नेताओं ने कांग्रेस मुख्यालय में झंडा फहराया, जहां राहुल गांधी की बारिश में भीगते हुए तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। हालांकि, लाल किले के मुख्य समारोह में न जाकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। खड़गे पर तो ज्यादा आलोचना नहीं हुई, लेकिन राहुल गांधी अब निशाने पर हैं। इस बार उनकी देशभक्ति पर सवाल कम उठाए जा रहे हैं, जबकि विशेषाधिकार को लेकर उन पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
कांग्रेस के इकोसिस्टम से यह बात सामने आई है कि पिछले साल राहुल गांधी पहली बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में लाल किले गए थे, जहां उन्हें सबसे पीछे दूसरी पंक्ति में बैठाया गया था। इस वीडियो को शेयर करके यह कहा जा रहा है कि राहुल का अपमान हुआ था, इसलिए वे इस बार समारोह में नहीं गए। लेकिन क्या स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम व्यक्तिगत अपमान का मामला है? अगर राहुल वहां जाते और सरकार जानबूझकर उन्हें पीछे बैठाती, तो इससे सरकार पर सवाल उठते और राहुल का कद बढ़ता। यह नैरेटिव बनता कि अपमान सहते हुए भी राहुल स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में शामिल हुए।
यदि मल्लिकार्जुन खड़गे को भी पीछे बैठाया जाता, तो कांग्रेस इसे नेता प्रतिपक्ष और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता के अपमान के साथ दलित अपमान का मुद्दा भी बना सकती थी। लेकिन कांग्रेस ने इस मौके को गंवा दिया। राहुल के लाल किले के कार्यक्रम में न जाने से यह धारणा बनी है कि नेहरू-गांधी परिवार हर हाल में अगली पंक्ति में बैठने का विशेषाधिकार समझता है। यह ध्यान देने योग्य है कि सोनिया गांधी को यह विशेषाधिकार मिला हुआ है, क्योंकि वे पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी हैं। 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी थी, तब प्रोटोकॉल के नियमों में बदलाव करके पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी को भी पूर्व प्रधानमंत्री का ही प्रोटोकॉल देने का नियम बनाया गया था।