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शाहरुख खान के नेशनल अवॉर्ड पर उर्वशी का विवादास्पद बयान

71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड की घोषणा के बाद शाहरुख खान ने 'जवान' के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीता। हालांकि, मलयालम अभिनेत्री उर्वशी ने विजयराघवन को सहायक भूमिका में सीमित रखने पर सवाल उठाए। उन्होंने जूरी के निर्णय और अवॉर्ड चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर चिंता जताई। उर्वशी का यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है, जहां कुछ लोग उनके साहस की सराहना कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे शाहरुख खान के खिलाफ अनावश्यक विवाद मानते हैं।
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शाहरुख खान के नेशनल अवॉर्ड पर उर्वशी का विवादास्पद बयान

शाहरुख खान ने जीता बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड

शाहरुख खान नेशनल अवॉर्ड्स: 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड की घोषणा ने शाहरुख खान के प्रशंसकों में खुशी की लहर दौड़ा दी है। हालांकि, मलयालम सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री उर्वशी ने पुरस्कारों की निष्पक्षता पर सवाल उठाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। शाहरुख खान ने अपनी फिल्म 'जवान' के लिए पहली बार बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जीता, लेकिन उर्वशी ने यह सवाल उठाया कि अनुभवी अभिनेता विजयराघवन को सहायक भूमिका में क्यों सीमित रखा गया। आइए, इस विवाद की गहराई में जाते हैं।


उर्वशी ने जूरी के निर्णय पर उठाए सवाल

1 अगस्त 2025 को 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड की घोषणा के बाद, शाहरुख खान ने 'जवान' में अपने उत्कृष्ट अभिनय के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड विक्रांत मैसी के साथ साझा किया। लेकिन मलयालम फिल्म 'उल्लोझुक्कू' के लिए बेस्ट सहायक एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीतने वाली उर्वशी ने जूरी के निर्णय पर सवाल उठाए।


उर्वशी का बयान

एशियानेट न्यूज से बातचीत में उर्वशी ने कहा, 'विजयराघवन एक अद्भुत अभिनेता हैं। जूरी ने उनके और शाहरुख खान के अभिनय में अंतर करने के लिए किन बातों पर ध्यान दिया? एक सहायक अभिनेता और दूसरा बेस्ट अभिनेता कैसे बना? किन मानदंडों पर?' उन्होंने यह भी कहा, 'हमें ऐसे सवाल उठाने चाहिए, क्योंकि हम भी करदाता नागरिक हैं। विजयराघवन को सिनेमा में दशकों का अनुभव है। यह फिल्म अन्य भाषाओं की फिल्मों की तरह बड़े बजट की, 250 दिनों की शूटिंग वाली परियोजना नहीं थी।' उर्वशी का यह बयान अवॉर्ड चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है।


विजयराघवन को मिला बेस्ट सहायक एक्टर का अवॉर्ड

विजयराघवन को 2023 की मलयालम फिल्म 'पूक्कालम' में 100 साल के बुजुर्ग की भूमिका के लिए बेस्ट सहायक एक्टर का अवॉर्ड मिला, जिसमें उन्होंने के.पी.ए.सी. लीला के साथ स्क्रीन साझा की। उर्वशी ने इस निर्णय पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'मुझे शुरुआत में 'पूक्कालम' में उनकी जोड़ीदार भूमिका निभाने के लिए संपर्क किया गया था। फिर भी, मैंने मना कर दिया क्योंकि इस भूमिका के लिए मुझे एक महत्वपूर्ण शारीरिक परिवर्तन से गुजरना पड़ा। मैंने कहा, अगर आप मुझे करोड़ों भी दें, तो भी मैं यह नहीं करूंगी। लेकिन उन्होंने अपनी उम्र में यह सब सहन किया और अच्छा प्रदर्शन किया। कम से कम यही बात विशेष उल्लेख के योग्य है। वह सिर्फ एक सहायक अभिनेता कैसे हैं? यह किस आधार पर तय किया गया? मैं बस यही पूछ रही हूं - कुछ तो निष्पक्षता होनी चाहिए।' उर्वशी ने यह भी सवाल उठाया कि उनकी और परवथी थिरुवोथु की भूमिकाओं को मुख्य अभिनेत्री के बजाय सहायक श्रेणी में क्यों रखा गया।


अवॉर्ड चयन प्रक्रिया पर बहस

उर्वशी ने न केवल विजयराघवन के साथ हुए निर्णय पर सवाल उठाया, बल्कि नेशनल अवॉर्ड की पूरी चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, 'यह पेंशन का पैसा नहीं है कि चुपचाप स्वीकार कर लिया जाए। अवॉर्ड ऐसे होने चाहिए कि हमें गर्व महसूस हो।' उन्होंने मलयालम सिनेमा की अनदेखी का भी जिक्र किया, खासकर 'आदुजीवितम' जैसी फिल्म को कोई अवॉर्ड न मिलने पर हैरानी जताई। उर्वशी ने केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी से इस मामले की जांच करने की अपील की। उनकी यह मांग सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा का विषय बन गई, जहां कई यूजर्स ने उनके साहस की तारीफ की, जबकि कुछ ने इसे शाहरुख खान के खिलाफ अनावश्यक विवाद माना।