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समीर वानखेड़े ने 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' पर मानहानि का मुकदमा दायर किया

समीर वानखेड़े, जो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व जोनल निदेशक हैं, ने 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है। इस मामले के बाद उनके परिवार को पाकिस्तान, यूएई और बांग्लादेश से नफरत भरे संदेश मिल रहे हैं। वानखेड़े ने अदालत में कहा है कि यह मामला आत्म-सम्मान और व्यक्तिगत गरिमा से जुड़ा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में सम्मन जारी किया है और सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
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समीर वानखेड़े ने 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' पर मानहानि का मुकदमा दायर किया

समीर वानखेड़े का मानहानि का दावा


समीर वानखेड़े का मानहानि का दावा: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े ने शनिवार को कहा कि उन्होंने आर्यन खान द्वारा निर्देशित वेब सीरीज 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' के खिलाफ रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और नेटफ्लिक्स पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है। इसके बाद उनके परिवार को पाकिस्तान, यूएई और बांग्लादेश से नफरत भरे संदेश मिल रहे हैं।


वानखेड़े ने एक समाचार एजेंसी से कहा, 'मेरे विचार में, इसका मेरी नौकरी से कोई संबंध नहीं है। मैंने व्यक्तिगत रूप से दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। मैं अदालत की कार्यवाही पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, क्योंकि मामला अभी विचाराधीन है।'


'आत्म-सम्मान और व्यक्तिगत गरिमा का मामला'

उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला आत्म-सम्मान और व्यक्तिगत गरिमा से जुड़ा है। वानखेड़े ने बताया कि उन पर व्यंग्य या पैरोडी के माध्यम से न केवल उनका अपमान किया गया है, बल्कि नशीली दवाओं के खिलाफ काम करने वालों का भी अपमान किया गया है।


उन्होंने कहा कि उनके परिवार पर अनुचित प्रभाव पड़ा है, जो उनके पेशेवर काम से जुड़े नहीं हैं। 'हम पुलिस को लगातार अपनी बहन और पत्नी को मिल रही धमकियों के बारे में सूचित करते रहे हैं। मैं यह नहीं मानता कि मेरी वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है।'


दिल्ली उच्च न्यायालय का सम्मन

बुधवार को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने वानखेड़े द्वारा दायर दीवानी मानहानि मुकदमे में रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड और अन्य को सम्मन जारी किया। न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने वानखेड़े की याचिका पर सम्मन जारी किया।


उच्च न्यायालय ने रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और अन्य को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके बाद याचिकाकर्ता को तीन दिनों के भीतर उत्तर देने के लिए कहा गया है। अदालत ने याचिकाकर्ता से सभी प्रतिवादियों को याचिका की एक-एक प्रति उपलब्ध कराने को कहा है। मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।


अदालत ने याचिकाकर्ता को तत्काल कोई राहत देने से इनकार कर दिया और उन्हें 10 दिन बाद आने को कहा। 26 सितंबर को उच्च न्यायालय ने मानहानि के मुकदमे की सुनवाई की थी।