सर्दियों में मुलेठी: खांसी और गले की समस्याओं का प्राकृतिक उपचार
सर्दियों में मुलेठी का महत्व
सर्दियों का मौसम आते ही ठंड के साथ गले में खराश, खांसी, बलगम और आवाज बैठने की समस्याएं आम हो जाती हैं। आयुर्वेद में इन समस्याओं के समाधान के लिए मुलेठी को अत्यंत लाभकारी माना गया है।
मुलेठी के औषधीय गुण
मुलेठी, जिसे आयुर्वेद में यष्टिमधु के नाम से भी जाना जाता है, सूखी और बलगम वाली खांसी में राहत प्रदान करती है। भारत सरकार का आयुष मंत्रालय इसे सर्दियों में उपयोग के लिए सबसे प्रभावी और सुरक्षित घरेलू उपाय बताता है। सदियों से इसे गले और फेफड़ों के लिए एक उत्तम साथी माना गया है।
ग्लाइसिर्राइजिन का लाभ
इसमें मौजूद ग्लाइसिर्राइजिन तत्व गले की सूजन को कम करता है, बलगम को पतला करता है और खांसी में त्वरित राहत प्रदान करता है। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है, जिससे अपच, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं दूर रहती हैं। बेहतर पाचन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे सर्दी-खांसी जल्दी ठीक होती है।
मुलेठी का उपयोग कैसे करें
मुलेठी का सेवन करना सरल है। इसकी छोटी डंडी को रातभर पानी में भिगोकर सुबह चबाना और पानी पीना फायदेमंद होता है। मुलेठी पाउडर को शहद के साथ लेने से भी खांसी में राहत मिलती है। इसके अलावा, मुलेठी, अदरक और तुलसी की चाय भी लाभकारी होती है। मुलेठी की डंडी को चूसने से भी खांसी में आराम मिलता है।
सावधानियाँ
रोजाना थोड़ी मात्रा में मुलेठी का सेवन सर्दी-जुकाम और खांसी से बचाव का एक प्रभावी तरीका है। हालांकि, उच्च रक्तचाप या किसी प्रकार की एलर्जी से ग्रसित व्यक्तियों को डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
