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सुप्रीम कोर्ट ने सोनम वांगचुक की हिरासत पर केंद्र और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया है। वांगचुक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान उचित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने का भी निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और वांगचुक के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोनम वांगचुक की हिरासत पर केंद्र और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया। यह याचिका वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो द्वारा दायर की गई थी।


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को सोनम वांगचुक की कथित गैर-कानूनी हिरासत के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि हिरासत से संबंधित सभी दस्तावेज और आदेश की कॉपी याचिकाकर्ता, यानी वांगचुक की पत्नी को उपलब्ध कराई जाए।


सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि सोनम वांगचुक को जेल में उचित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएं। इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर (मंगलवार) को होगी।


गीतांजलि अंगमो ने अपनी याचिका में कहा कि उनके पति को अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया है और उन्हें किसी वैधानिक प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार नहीं किया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह तुरंत हस्तक्षेप करे और सोनम वांगचुक को अदालत में पेश करने का निर्देश दे, ताकि उनकी सुरक्षा और कानूनी अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।


इससे पहले, गीतांजलि ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पति को पिछले चार वर्षों से लोगों के हितों के लिए काम करने के कारण बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वह कभी भी किसी के लिए खतरा नहीं बन सकते।


गौरतलब है कि सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़काने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी, जो लेह में लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई। इस हिंसा में लगभग 90 लोग घायल हुए थे।