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सुहानी राज्यलक्ष्मी सिंह का कुचिपुड़ी रंगप्रवेशम: एक सांस्कृतिक संध्या की यादगार शाम

नई दिल्ली के कमानी सभागार में सुहानी राज्यलक्ष्मी सिंह ने कुचिपुड़ी नृत्य में अपनी शुरुआत की। इस सांस्कृतिक संध्या में परंपरा और युवा प्रतिभा का अद्भुत संगम देखने को मिला। सुहानी ने अपने गुरु के मार्गदर्शन में नृत्य की कला को जीवंत किया, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। यह प्रदर्शन उनके लिए एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि भी था, जिसमें उन्होंने अपने परिवार और गुरुजनों का आभार व्यक्त किया।
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सुहानी राज्यलक्ष्मी सिंह का कुचिपुड़ी रंगप्रवेशम: एक सांस्कृतिक संध्या की यादगार शाम

नई दिल्ली में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन

नई दिल्ली के ऐतिहासिक कमानी सभागार में एक अद्भुत सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें मोहिनी देवी की पोती और वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह तथा मीडिया की जानी-मानी हस्ती सोनिया सिंह की बेटी, सुहानी राज्यलक्ष्मी सिंह ने अपने कुचिपुड़ी रंगप्रवेशम के साथ शास्त्रीय नृत्य की दुनिया में कदम रखा। इस अवसर पर परंपरा, विरासत और युवा प्रतिभा का अनूठा संगम देखने को मिला, जिसने 500 से अधिक गणमान्य व्यक्तियों, कलाकारों और सांस्कृतिक संरक्षकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


गुरुओं के मार्गदर्शन में निखरा सुहानी का हुनर: सुहानी ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित गुरुओं, डॉ. राजा रेड्डी, डॉ. राधा रेड्डी और डॉ. कौशल्या रेड्डी के मार्गदर्शन में नट्या तरंगिनी में वर्षों तक कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनके मंचन ने सभी का मन मोह लिया। उन्होंने अपने भावपूर्ण अभिनय और जटिल फुटवर्क के माध्यम से कुचिपुड़ी के सार को जीवंत किया। वर्षों की मेहनत का यह परिणाम था कि उनकी प्रस्तुति में अनुशासन और लालित्य का एक अद्भुत मिश्रण देखने को मिला।


कुचिपुड़ी जीवन जीने का एक तरीका है: गुरु राजा रेड्डी ने इस अवसर पर कहा, "कुचिपुड़ी केवल एक नृत्य शैली नहीं है, यह जीवन जीने का एक तरीका है - एक साधना।" उन्होंने सुहानी की प्रशंसा करते हुए कहा, "सुहानी ने इस कला को पूरी ईमानदारी से अपनाया है और अपनी उम्र से कहीं अधिक परिपक्वता का प्रदर्शन किया है।"


व्यक्तिगत श्रद्धांजलि: सुहानी के लिए, यह प्रदर्शन केवल एक शुरुआत नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि भी थी। उन्होंने कहा, "यह वर्षों के अभ्यास, मेरे गुरुओं के आशीर्वाद और मेरे परिवार के समर्थन का परिणाम है। मैं इसे अपनी नानी अमृता वर्मा को समर्पित करती हूं, जिनका प्यार मुझे हमेशा मार्गदर्शन देता है।"


कार्यक्रम की झलक: इस सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत भगवान शिव को समर्पित एक प्रस्तुति से हुई। इसके बाद, सुहानी ने प्रसिद्ध तरंगम की प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने पीतल की थाली पर जटिल फुटवर्क करते हुए असाधारण नियंत्रण का प्रदर्शन किया। सुहानी राज्यलक्ष्मी सिंह का यह कुचिपुड़ी रंगप्रवेशम न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपराओं को युवा पीढ़ी द्वारा अपनाए जाने और उसे जीवित रखने के दृढ़ संकल्प का भी एक सशक्त उदाहरण है।