सूडान में ड्रोन हमले से 75 लोगों की मौत: दारफुर में बढ़ती हिंसा का नया अध्याय

एल-फशर में भयानक ड्रोन हमला
सूडान के पश्चिमी शहर एल-फशर के निकट एक विस्थापित लोगों के शिविर में शुक्रवार को अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) द्वारा किए गए ड्रोन हमले में 75 व्यक्तियों की जान चली गई। यह हमला उस समय हुआ जब आरएसएफ दारफुर के सेना के नियंत्रण वाले अंतिम शहर पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा था। यह क्षेत्र सूडान के सबसे लंबे समय से संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में से एक है, जहां की हिंसा ने स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है.
अबू शौक शिविर पर हमला
स्थानीय स्वयंसेवी संगठन इमरजेंसी रिस्पांस रूम ने जानकारी दी है कि अबू शौक शिविर की मस्जिद पर हमला हुआ। समूह ने बताया कि शवों को मलबे से निकाला गया है। इस घटना पर आरएसएफ की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह हमला एल-फशर के निवासियों के लिए एक और बड़ा सदमा है, जो पिछले 18 महीनों से अर्धसैनिक घेराबंदी का सामना कर रहे हैं.
दारफुर की स्थिति
दारफुर की राजधानी एल-फशर सूडान की सेना के नियंत्रण में है, और आरएसएफ के लिए इसे अपने कब्जे में लेना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यदि आरएसएफ इस शहर पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है, तो उसे पूरे दारफुर क्षेत्र में व्यापक प्रभुत्व हासिल होगा। पहले ही संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने इस क्षेत्र में जातीय आधार पर लक्षित हत्याओं और अन्य बड़े पैमाने के अत्याचारों की रिपोर्ट दी है.
सूडान में युद्ध का तीसरा वर्ष
सूडान में चल रहे संघर्ष ने देश की जनसंख्या पर गहरा प्रभाव डाला है। यह युद्ध अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है, जिसमें हजारों लोग मारे जा चुके हैं। लगभग 12 मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं, और संयुक्त राष्ट्र ने इसे विश्व का सबसे बड़ा विस्थापन और भूख संकट बताया है। देश का विभाजन स्पष्ट है, जहां सैनिक बल उत्तर, पूर्व और मध्य सूडान पर नियंत्रण बनाए हुए हैं, जबकि आरएसएफ दक्षिणी हिस्सों और दारफुर के अधिकांश क्षेत्र में प्रभुत्व स्थापित कर चुका है.
मानवीय संकट की गंभीरता
इस प्रकार, सूडान में बढ़ती हिंसा और नागरिकों पर हो रहे हमलों ने एक गंभीर मानवीय संकट को जन्म दिया है। एल-फशर में हुए ड्रोन हमले जैसी घटनाएं न केवल स्थानीय लोगों के जीवन को खतरे में डालती हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता की संभावनाओं को भी कमजोर करती हैं.