हर्षवर्धन राणे की फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' को मिल रही है शानदार प्रतिक्रिया
हर्षवर्धन राणे का संघर्ष और सफलता
बॉलीवुड के अभिनेता हर्षवर्धन राणे इन दिनों अपनी नई फिल्म "एक दीवाने की दीवानियत" की सफलता का जश्न मना रहे हैं। इस फिल्म को दर्शकों से शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है। उनके भावुक और गंभीर किरदार को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं, और उनके संवाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। हर्षवर्धन, जो अपनी सादगी और बेहतरीन अभिनय के लिए जाने जाते हैं, लंबे समय बाद इस सफलता का अनुभव कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों के संघर्ष को भी नहीं भुलाया है। हाल ही में, उन्होंने अपने कठिन समय के बारे में बात की, जब उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे।
10 रुपये में गुज़ारा
सफलता के इस दौर में भी, हर्षवर्धन राणे अपने शुरुआती संघर्ष के दिनों को याद करते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी था जब उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं थे। उन्हें केवल 10 रुपये में एक प्लेट छोले-चावल पर गुज़ारा करना पड़ता था। उन्होंने कहा, "घर से भागने के बाद, मेरी पहली ज़रूरत खाना था। मुझे खाने के लिए पैसे चाहिए थे और पैसे के लिए काम, लेकिन काम पाना आसान नहीं था। फिर मैंने वेटर का काम शुरू किया, जहाँ मेरी तनख्वाह 10 रुपये और एक प्लेट छोले-चावल थी।"
साइबर कैफ़े से जॉन अब्राहम तक का सफर
वेटर के रूप में काम करने के अलावा, हर्षवर्धन ने अपनी अच्छी लिखावट के कारण साइबर कैफ़े और एसटीडी बूथ पर भी काम किया। उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने 2004 में डिलीवरी बॉय के रूप में काम करना शुरू किया। इस दौरान उन्हें अभिनेता जॉन अब्राहम को एक हेलमेट पहुँचाने का अवसर मिला। उस पल को याद करते हुए, हर्षवर्धन ने कहा, "मैं बहुत घबराया हुआ था, लेकिन जॉन खुद लॉबी में आए और सहजता से 'शुक्रिया' कहा। उन 10 सेकंड ने मुझे मानवता का एक बड़ा सबक सिखाया। आज, जब मैं उनके प्रोडक्शन हाउस के साथ काम करता हूँ, तो वह पल मेरे ज़हन में ताज़ा है।" अब, हर्षवर्धन अपनी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं।
