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हर्षवर्धन राणे की संघर्ष की कहानी: 10 रुपये में गुजारा

हर्षवर्धन राणे, जो अपनी नई फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' की सफलता का जश्न मना रहे हैं, ने अपने शुरुआती संघर्षों को साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने केवल 10 रुपये और एक प्लेट छोले-चावल में गुजारा किया। घर छोड़ने के बाद, उन्हें खाने के लिए पैसे कमाने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनकी यात्रा में वेटर से लेकर डिलीवरी बॉय बनने तक के अनुभव शामिल हैं, जो आज उन्हें एक सफल अभिनेता बनाते हैं। जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी के बारे में।
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हर्षवर्धन राणे की संघर्ष की कहानी: 10 रुपये में गुजारा

हर्षवर्धन राणे का संघर्ष

अभिनेता हर्षवर्धन राणे अपनी नई फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' की सफलता का जश्न मना रहे हैं। इस अवसर पर, उन्होंने अपने प्रारंभिक संघर्षों को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने कभी केवल 10 रुपये और एक प्लेट छोले-चावल में अपना गुजारा किया। 


उन्होंने बताया कि उनके जीवन में कई कठिन दिन आए जब उन्होंने घर छोड़कर अपने आप को साबित करने का निर्णय लिया।


हर्षवर्धन ने कहा, 'घर छोड़ने के बाद सबसे पहली आवश्यकता खाने की होती है। खाने के लिए पैसे चाहिए, और पैसे कमाने के लिए नौकरी की जरूरत होती है, जो आसान नहीं होती। मैंने उस समय कई कठिनाइयों का सामना किया।'


उन्होंने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने जीविका के लिए छोटे-मोटे काम किए।


अभिनेता ने कहा, 'शुरुआत में मुझे कोई काम नहीं देता था। सबसे सरल काम जो कोई भी कर सकता था, वह वेटर का था। इसके लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती। मैंने इस तरह की नौकरी की, जिसमें मुझे प्रतिदिन 10 रुपये और एक प्लेट छोले-चावल मिलते थे। यही मेरी शुरुआती सैलरी थी, और इसी से मैंने अपना जीवन चलाना शुरू किया।'


उन्होंने आगे बताया, 'इसके बाद मैंने साइबर कैफे में रजिस्टर संभालने का काम किया। मेरी हैंडराइटिंग अच्छी थी, इसलिए मुझे यह काम जल्दी मिल गया। उस समय मुझे रोजाना 10 से 20 रुपये मिलते थे। यह 2002 का समय था। दो साल बाद, 2004 में, मैं एक डिलीवरी बॉय बन गया। मुझे एक बाइक शोरूम से हेलमेट होटल तक पहुंचाने का काम मिला। जब मैं होटल पहुंचा, तो पता चला कि हेलमेट जॉन अब्राहम के लिए था।'


हर्षवर्धन ने उस पल को याद करते हुए कहा कि वह बहुत नर्वस थे। उन्हें डर था कि कहीं कोई गलती न हो जाए। जैसे ही उन्होंने हेलमेट जॉन को दिया, तो उन्होंने हर्षवर्धन को धन्यवाद कहा।


हर्षवर्धन ने कहा, 'उस दिन मैंने महसूस किया कि अगर एक बड़ा स्टार भी एक डिलीवरी बॉय को धन्यवाद कह सकता है, तो इसमें इंसानियत की बड़ी सीख छिपी है। यही थी मेरी जॉन अब्राहम से पहली मुलाकात।'


कई सालों बाद, हर्षवर्धन ने जॉन अब्राहम के प्रोड्यूसर बनने वाली फिल्म में अभिनय किया। उन्हें यह अनुभव बेहद खास लगा क्योंकि वही व्यक्ति, जिन्हें वे पहले हेलमेट दे रहे थे, अब उनके फिल्म प्रोजेक्ट में उनका मार्गदर्शन कर रहे थे।


हर्षवर्धन ने कहा कि आज भी जब वह जॉन को देखते हैं, तो वही भावना महसूस होती है, जैसे 20 साल पहले हेलमेट उनके हाथ में था और जॉन सामने खड़े थे।