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हेमा मालिनी ने 'शोले' की 50वीं वर्षगांठ पर साझा की यादें

1975 में रिलीज हुई फिल्म 'शोले' ने हिंदी सिनेमा में एक नया मानक स्थापित किया। इस फिल्म की 50वीं वर्षगांठ पर, हेमा मालिनी ने अपने किरदार बसंती के बारे में दिलचस्प बातें साझा की हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने इस भूमिका को पहले छोटा समझा था, लेकिन बाद में इसे फिल्म की आत्मा माना। जानें और क्या खास बातें उन्होंने साझा की हैं और कैसे वह अपनी नई पीढ़ी को इस क्लासिक फिल्म से परिचित कराने की योजना बना रही हैं।
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हेमा मालिनी ने 'शोले' की 50वीं वर्षगांठ पर साझा की यादें

शोले: एक क्लासिक फिल्म की यात्रा

मुंबई: 1975 में रिलीज हुई फिल्म 'शोले' ने हिंदी सिनेमा में एक नई पहचान बनाई। जय और वीरू की दोस्ती, गब्बर का आतंक, ठाकुर की मजबूरी और बसंती की चुलबुली बातें आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं। इस फिल्म ने एक्शन, ड्रामा और इमोशन का एक नया मानक स्थापित किया। अब जब यह फिल्म अपने 50 साल पूरे कर चुकी है, तो 'ड्रीम गर्ल' हेमा मालिनी ने उस समय की कुछ अनकही बातें साझा की हैं।


हेमा मालिनी ने फिल्म में 'बसंती' का किरदार निभाया था, जो न केवल मजबूत था बल्कि मनोरंजन का एक नया तरीका भी पेश करता था।


एक मीडिया चैनल से बातचीत में हेमा ने कहा, "जब रमेश सिप्पी ने मुझे 'शोले' का प्रस्ताव दिया, तो मैंने सोचा कि यह भूमिका उनकी पिछली फिल्म 'सीता और गीता' के मुकाबले उतनी प्रभावशाली नहीं होगी।" निर्देशक ने मुझे बताया, 'फिल्म में कई किरदार हैं और तुम भी उनमें से एक हो।' उस समय मैं सोच रही थी कि मुझे छोटा रोल क्यों दिया गया है। लेकिन बाद में रमेश सिप्पी ने समझाया कि भले ही स्क्रीन टाइम कम हो, मेरा किरदार फिल्म की आत्मा है। बसंती का किरदार निश्चित रूप से दर्शकों के दिलों में हमेशा रहेगा, और यही हुआ।


उन्होंने आगे कहा, "मेरे लिए अक्सर एक्शन सीन बनाए जाते थे। निर्देशक कहते थे, 'हेमा है तो एक्शन तो होना ही चाहिए।' चाहे जो भी भूमिका हो, मेरे लिए कोई न कोई फाइट सीन जरूर होता था। 'शोले' में भी ऐसा ही था। मेरा सबसे यादगार सीन तांगे पर बैठी बसंती का पीछा करते डाकू वाला था। यह सीन आज भी मुझे याद है। उस दिन पूरी यूनिट कितनी मेहनत कर रही थी, वह आज भी मेरी आंखों के सामने ताजा है।"


जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी नई पीढ़ी ने 'शोले' देखी है, तो हेमा ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि उन्होंने देखी है, लेकिन अब जब फिल्म को 50 साल हो गए हैं, तो मैं उन्हें जरूर दिखाऊंगी। एक दिन मैं उन्हें अपने घर के मिनी थिएटर में बिठाकर पूरी फिल्म दिखाने का सोच रही हूं।"