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केरल स्टोरी को मिले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: विवाद और प्रशंसा का संगम

केरल स्टोरी ने 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी का पुरस्कार जीता है, लेकिन इसके विवादास्पद विषय ने कई चर्चाएं भी छेड़ी हैं। जूरी अध्यक्ष आशुतोष गोवारीकर ने फिल्म की सराहना की, जबकि केरल के मुख्यमंत्री ने इसे सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाला बताया। जानें इस फिल्म के पुरस्कारों और इसके पीछे की कहानी के बारे में।
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केरल स्टोरी को मिले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: विवाद और प्रशंसा का संगम

केरल स्टोरी का पुरस्कारों में जलवा

केरल स्टोरी: 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा 1 अगस्त 2025 को हुई, जिसने फिल्म उद्योग में कई चर्चाओं को जन्म दिया। इस साल की सबसे विवादास्पद फिल्मों में से एक, 'केरल स्टोरी' ने दो प्रमुख पुरस्कार जीते—सर्वश्रेष्ठ निर्देशन और सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी। सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल शाह द्वारा निर्मित इस फिल्म में अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सोनिया बलानी और सिद्धि इदनानी जैसे कलाकारों ने अभिनय किया है।


हालांकि, रिलीज के समय से ही यह फिल्म अपने विषय के कारण विवादों में रही। जूरी के अध्यक्ष आशुतोष गोवारीकर ने एक इंटरव्यू में बताया कि इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए क्यों चुना गया।


जूरी का दिल जीतने वाले फिल्म के तत्व

फिल्म के किस हिस्से ने जीता जूरी का दिल


आशुतोष गोवारीकर ने प्रशांतु महापात्रा को सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी का पुरस्कार मिलने के कारण पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, 'केरल स्टोरी' की सिनेमैटोग्राफी बहुत ही सटीक और यथार्थवादी थी। यह कहानी पर हावी नहीं हुई; चित्र वास्तविकता के दायरे में बनाए गए थे। इसलिए, हमने इसकी सराहना की।' गोवारीकर ने बताया कि फिल्म के दृश्य ने कहानी को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया, बिना अनावश्यक नाटकीयता के, जिसने जूरी को प्रभावित किया।


सुदीप्तो सेन का निर्देशन

कैसा था सुदीप्तो सेन का डायरेक्शन


सुदीप्तो सेन को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए चुने जाने पर गोवारीकर ने कहा, 'यह एक कठिन विषय है और इसे इतनी स्पष्टता से व्यक्त करना कि जूरी के रूप में हमें इसकी सराहना करने की आवश्यकता महसूस हुई।' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फिल्म का विषय—केरल में महिलाओं के कथित जबरन धर्मांतरण और इस्लामिक स्टेट (आईएस) में भर्ती—नाजुक और जटिल था, जिसे सेन ने स्पष्टता और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। जूरी ने इस साहसिक प्रयास को सम्मानित करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया।


केरल में प्रतिक्रियाएं

फिल्म को मिले पुरस्कारों ने केरल में तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, 'एक ऐसी फिल्म को सम्मानित करके जो केरल की छवि धूमिल करने और सांप्रदायिक नफरत के बीज बोने के स्पष्ट इरादे से गलत सूचना फैलाती है, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के निर्णायक मंडल ने संघ परिवार की विभाजनकारी विचारधारा को वैधता प्रदान की है।' उन्होंने आगे कहा, 'केरल, जो हमेशा सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ सद्भाव और प्रतिरोध का प्रतीक रहा है, इस फैसले से अपमानित हुआ है।' विजयन ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया और सभी से इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।