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टमाटर की खेती में व्हाइट फ्लाई के खतरे से बचने के उपाय

टमाटर की खेती में व्हाइट फ्लाई एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो फसल को बर्बाद कर सकती है। यह कीट पौधों की पत्तियों का रस चूसता है, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है और कई वायरस फैलाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके प्रभाव से उत्पादकता में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। गर्म और शुष्क मौसम में इसका प्रकोप अधिक होता है। किसानों को महंगे कीटनाशकों का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन केवल कीटनाशकों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। जानें इसके बचाव के उपाय और विशेषज्ञों की सलाह।
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टमाटर की खेती में व्हाइट फ्लाई के खतरे से बचने के उपाय

व्हाइट फ्लाई का खतरा


टमाटर की फसल पर व्हाइट फ्लाई का प्रभाव
टमाटर के किसानों के लिए व्हाइट फ्लाई एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह छोटा कीट भले ही साधारण दिखता हो, लेकिन इसका प्रभाव फसल को बर्बाद कर सकता है। मानसून के बाद यह कीट टमाटर की फसल पर हमला करता है और इसके परिणामस्वरूप किसानों को भारी नुकसान हो सकता है।


व्हाइट फ्लाई का प्रभाव

व्हाइट फ्लाई टमाटर के पौधों की पत्तियों का रस चूसती है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और पत्तियां पीली होकर गिरने लगती हैं। यह कीट न केवल पौधों की ताकत को कम करता है, बल्कि कई वायरस भी फैलाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, व्हाइट फ्लाई के कारण टमाटर की फसल की उत्पादकता में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।


बीमारी का फैलाव

व्हाइट फ्लाई का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि यह टोमैटो लीफ कर्ल वायरस जैसी गंभीर बीमारियों को फैलाता है। इससे टमाटर की पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और पौधों की नई वृद्धि रुक जाती है। संक्रमित पौधों पर फल या तो बहुत कम लगते हैं या उनकी गुणवत्ता बाजार में बिकने योग्य नहीं रहती।


जलवायु का प्रभाव

गर्म और शुष्क मौसम में व्हाइट फ्लाई का प्रकोप अधिक होता है। जब तापमान बढ़ता है, तो इनकी संख्या तेजी से बढ़ जाती है और यह एक पौधे से दूसरे पौधे पर आसानी से फैल जाते हैं। इसलिए, मानसून के बाद और गर्मियों की शुरुआत में इनका हमला सबसे खतरनाक होता है।


महंगे कीटनाशकों का उपयोग

पिछले कुछ वर्षों में, व्हाइट फ्लाई का प्रभाव टमाटर उगाने वाले किसानों पर गहरा पड़ा है। विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है, किसानों को फसल बचाने के लिए महंगे कीटनाशकों का सहारा लेना पड़ता है। बार-बार छिड़काव करने से लागत बढ़ती है और कीटों में कीटनाशक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।


बचाव के उपाय

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि व्हाइट फ्लाई से बचाव के लिए केवल कीटनाशकों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए समेकित कीट प्रबंधन (आईपीएम) अपनाना आवश्यक है। इसमें शामिल हैं:



  • खेत में पीले चिपचिपे ट्रैप लगाना ताकि व्हाइट फ्लाई आसानी से पकड़ी जा सके।

  • समय-समय पर खेत की निगरानी करना और संक्रमित पौधों को तुरंत हटाना।

  • फसल चक्र अपनाना और एक ही खेत में लगातार टमाटर की खेती न करना।

  • जैविक नियंत्रण के लिए परजीवी कीट जैसे एन्कार्सिया फॉमोर्सा का उपयोग करना।