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तुलसीदास के 10 प्रसिद्ध दोहे: जीवन के गहरे अर्थ

गोस्वामी तुलसीदास के 10 प्रसिद्ध दोहे आज भी जीवन में प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। इन दोहों में गहरे अर्थ छिपे हैं, जो हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं। चाहे वह मित्रता की परख हो या संकट में धैर्य की आवश्यकता, तुलसीदास के ये दोहे हर परिस्थिति में मार्गदर्शन करते हैं। जानें इन दोहों के अर्थ और उनके पीछे छिपे गहरे संदेश।
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तुलसीदास के 10 प्रसिद्ध दोहे: जीवन के गहरे अर्थ

तुलसीदास के 10 प्रसिद्ध दोहे

Tulsidas ke 10 prasiddh dohe: गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के महान हस्ताक्षर हैं, जिनकी रचनाएँ आज भी लोगों के जीवन में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।


उन्होंने रामचरितमानस जैसी अमूल्य कृति के माध्यम से श्रीराम के जीवन को आम जन तक पहुँचाया। लेकिन उनकी सबसे बड़ी धरोहर उनके दोहे हैं, जो संक्षिप्त पंक्तियों में गहरा जीवन ज्ञान समेटे हुए हैं।


चाहे संयम की बात हो, मित्रता की परख या सच्चे धर्म की पहचान, तुलसीदास जी के दोहे हर परिस्थिति में मार्गदर्शन करते हैं।


Tulsidas ke 10 prasiddh dohe: तुलसीदास जी के 10 सबसे प्रसिद्ध दोहे


1. “बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।”


अर्थ: जो केवल ऊँचाई में बड़ा है, लेकिन दूसरों को कोई लाभ नहीं पहुँचाता, उसकी महानता व्यर्थ है।


2. “धीरज, धर्म, मित्र और नारी, आपद काल परखिए चारी।”


अर्थ: किसी के धैर्य, धर्म, मित्रता और स्त्री के गुणों की असली पहचान संकट के समय होती है।


3. “पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे करहीं ते नर न घनेरे।”


अर्थ: उपदेश देना आसान है, लेकिन उस पर चलना कठिन। ऐसे लोग बहुत कम होते हैं।


4. “सठ सुधरहिं सत संगत पाई, पारस परस कुधातु सुहाई।”


अर्थ: गलत व्यक्ति भी अगर अच्छे संगत में आए तो सुधर सकता है, जैसे पारस से लोहे को सोना बनाया जा सकता है।


5. “जो न तरनि तरु बीजव रहाहीं, ते बिपति बात न जिय कराहीं।”


अर्थ: जो समय पर बुराइयों से नहीं बचते, उनके लिए पछतावा ही बचता है।


6. “तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर, वशीकरण इक मंत्र है, परिहरु वचन कठोर।”


अर्थ: मीठे बोल हर जगह सुख लाते हैं। कठोर वचन से बचना चाहिए।


7. “भक्ति रहित माया जड़, जीव अमर अविनाशी।”


अर्थ: माया और शरीर नाशवान हैं, लेकिन आत्मा और भक्ति अमर होती हैं।


8. “तुलसी के राम न घालियै, चाहे दुनिया सारी खोट करै।”


अर्थ: तुलसीदास कहते हैं कि भगवान राम में विश्वास कभी न छोड़ो, चाहे पूरी दुनिया ही आपके खिलाफ हो जाए।


9. “निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।”


अर्थ: आलोचक को अपने पास रखना चाहिए क्योंकि वह बिना किसी साधन के हमारे स्वभाव को शुद्ध करता है।


10. “कबहुँक बेरि बास कबहुँक, माखन-मिसरी खाय। तुलसी जग जीवन यही, साँच झूठ कर जाय।”


अर्थ: जीवन में कभी कष्ट आता है, तो कभी सुख। यही संसार का सत्य है – सच और झूठ की परख ही जीवन है।


तुलसीदास जी के दोहे भले ही सदियों पुराने हों, लेकिन उनके संदेश आज भी उतने ही ताजे हैं। चाहे वो रिश्तों की समझ हो, समाज की सच्चाई हो या आत्मज्ञान की बात, तुलसीदास की पंक्तियां आज के समय में भी जीवन को दिशा देती हैं।