हैदराबाद का जौज़ी हलवा: एक सदी पुरानी मिठाई की कहानी

हैदराबाद का प्रसिद्ध जौज़ी हलवा
हैदराबाद का जौज़ी हलवा: हैदराबाद के पुराने शहर में, जहां बिरयानी की महक और मोज़म जाही मार्केट की चहल-पहल मिलती है, एक छोटी सी दुकान एक सदी से भी अधिक पुरानी मिठाई का राज़ छुपाए हुए है.
हमीदी कन्फेक्शनर्स, जो अपनी प्रसिद्ध 'तुर्की मिठाई' जौज़ी हलवा के लिए मशहूर है, न केवल स्वादिष्ट मिठाई पेश करता है, बल्कि हर निवाले में इतिहास और परंपरा की कहानी भी समाहित है. यह मिठाई कभी हैदराबाद के अंतिम निज़ाम, मीर उस्मान अली खान का भी प्रिय थी.
एक मिठाई जो इतिहास का हिस्सा है
हमीदी कन्फेक्शनर्स की स्थापना एक 11 वर्षीय तुर्की लड़के, मोहम्मद हुसैन ने की थी, जिन्होंने अपनी मेहनत और जुनून से इस मिठाई को हैदराबाद की पहचान बना दिया. यह दुकान मोज़म जाही मार्केट के सामने सादगी से स्थित है, बिना किसी आकर्षक सजावट के. फिर भी, यहां से निकलने वाली जौज़ी हलवे की खुशबू राहगीरों को अपनी ओर खींच लेती है.
मोहम्मद अनीस, जो अब इस दुकान के मालिक हैं, गर्व से कहते हैं, “मुझे याद नहीं कि यह दुकान कितने वर्षों से चल रही है. इसे मेरे दादा मोहम्मद हुसैन ने खोला था जब हम छोटे थे. वह तुर्की मूल के थे और उनके पिता निज़ाम की सेना में थे. हुसैन ने अपने दोस्त के साथ मिलकर, जो एक रसोइया थे, इस दुकान की स्थापना की. उनकी उम्र भले ही कम थी, लेकिन खाने के प्रति उनका जुनून और मिठाई बनाने की कला अद्वितीय थी.
जौज़ी हलवा: स्वाद और परंपरा का संगम
जौज़ी हलवा केवल एक मिठाई नहीं है, बल्कि यह तुर्की और दक्कनी संस्कृति का अनूठा मिश्रण है. इसका चमकीला लाल रंग, काजू और सिल्वर फॉइल की सजावट, और जायफल की गुप्त महक इसे विशेष बनाती है. अनीस बताते हैं, “लगभग 100 साल पहले हैदराबाद में जायफल आसानी से नहीं मिलता था. इसे अफगानिस्तान से लाया जाता था.” आज भले ही सामग्री स्थानीय हो, लेकिन रेसिपी में कोई बदलाव नहीं आया है. इस मिठाई को बनाने में 16 घंटे लगते हैं, जिसमें जई का दूध, चीनी, घी, केसर और सूखे मेवों को मिलाकर लगातार हिलाया जाता है. इसका स्वाद पालकोवा से मिलता-जुलता है, लेकिन यह कहीं अधिक समृद्ध और भारी होता है. एक छोटी सी सर्विंग भी लेना किसी उपलब्धि से कम नहीं है!