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नृसिंह जयंती 2025: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

11 मई 2025 को नृसिंह जयंती का पर्व मनाया जा रहा है, जो भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार के प्रकट होने का उत्सव है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानें, जिससे आप इस विशेष दिन का सही तरीके से पालन कर सकें। जानें कैसे भगवान नृसिंह की पूजा करने से भय और नकारात्मकता दूर होती है और भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं।
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नृसिंह जयंती 2025: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

नृसिंह जयंती का महत्व

आज, 11 मई 2025, को नृसिंह जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार के प्रकट होने का उत्सव है। नृसिंह जयंती बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्तों की रक्षा का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान नृसिंह की पूजा करने से भय और नकारात्मकता का नाश होता है, जिससे भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने राक्षस हिरण्यकश्यप का वध किया था। भगवान श्रीहरि विष्णु ने नृसिंह का रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का अंत किया। आइए, जानते हैं पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में...


तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 10 मई को सुबह 05:29 बजे से हो रही है। वहीं, आज, 11 मई 2025 को, रात 08:01 बजे इस तिथि का समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार, नृसिंह जयंती 11 मई को मनाई जाएगी। इस दिन सायंकाल पूजा का समय शाम 04:21 बजे से लेकर 07:03 बजे तक है।


पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर एक चौकी पर पीले या लाल रंग के कपड़े बिछाएं और उस पर भगवान नरसिंह की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान नृसिंह को पंचामृत से स्नान कराएं और कुमकुम, हल्दी, चंदन, पीले फूल, तुलसी दल, फल, गुड़-चना, मिठाई, धूप और दीप अर्पित करें। पूजा के दौरान 'ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥' मंत्र का जाप करें। इसके बाद प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा का पाठ करें और पूजा के अंत में नृसिंह भगवान की आरती कर सभी में प्रसाद बांटें।