छोटी दिवाली 2025: गाय के गोबर के दीयों का महत्व

छोटी दिवाली का महत्व
छोटी दिवाली 2025: दिवाली से एक दिन पूर्व मनाई जाने वाली छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, का विशेष महत्व है। इस दिन गाय के गोबर से बने दीये जलाने की परंपरा है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और घर में सुख-शांति लाने में मददगार माने जाते हैं।
गाय के गोबर के दीये
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छोटी दिवाली पर जलाए जाने वाले गाय के गोबर के दीये नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करते हैं। इन दीयों का आध्यात्मिक महत्व भी है। यदि आप इस दिन गाय के गोबर के चार छोटे दीये जलाते हैं, तो यह शुभ माना जाता है। यदि स्थान की कमी है, तो एक दीया भी पर्याप्त है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यमराज का आशीर्वाद
यह माना जाता है कि इस दिन गाय के गोबर के दीये जलाने से नरक जाने का भय कम होता है। नरक चतुर्दशी पर, यमराज उन लोगों को आशीर्वाद देते हैं जो इन दीयों को जलाते हैं और उन्हें नरक के दरवाजे से गुजरने से बचाने का वादा करते हैं। दक्षिण दिशा में जलाए जाने वाले ये दीये यमराज को समर्पित होते हैं, जिससे नकारात्मकता दूर होती है और घर में शांति एवं खुशी का वातावरण बनता है।
भगवान कृष्ण और नरकासुर
कहानी के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, जिसने 16,000 राजकुमारियों को बंदी बना रखा था। उन्होंने उन्हें मुक्त किया और बाद में उनसे विवाह किया। नरकासुर के वध के बाद, चारों ओर रोशनी फैल गई और लोगों ने खुशी में दीये जलाए। यह परंपरा आज भी जारी है। गाय के गोबर के दीये जलाना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक भी है।