दीवाली 2025: पर्व की तैयारी और दीयों की परंपरा

दीवाली 2025 का उत्सव
दीवाली 2025: इस वर्ष दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह दिन कार्तिक अमावस्या के रूप में आता है। दीपावली पांच दिनों का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), लक्ष्मी पूजा (बड़ी दिवाली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं। इस अवसर पर दीये जलाने की परंपरा अंधकार पर प्रकाश की विजय, नकारात्मकता पर सकारात्मकता और दरिद्रता पर लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक मानी जाती है।
धनतेरस पर दीयों की परंपरा
धनतेरस का दिन धन और स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन 13 दीये जलाने की परंपरा है।
- 1 दीया – मुख्य द्वार पर (समृद्धि और मेहमानों के स्वागत हेतु)
- 1 दीया – तुलसी के पास (सद्भाव और आशीर्वाद के लिए)
- 1 दीया – रसोई में (अन्न और स्वास्थ्य की रक्षा हेतु)
- 10 दीये – घर के अन्य कोनों में (अंधकार को दूर करने के प्रतीक)
इन 13 दीयों को जलाने से पूरे वर्ष घर में धन, स्वास्थ्य और शांति बनी रहती है।
छोटी दिवाली पर जलाए जाने वाले दीये
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या काली चौदस भी कहा जाता है, पर 14 दीये जलाने की परंपरा है। सबसे पहले एक चतुर्मुखी दीया जलाया जाता है। इसके बाद 13 दीये घर के मुख्य द्वार, रसोई, आंगन और पूजा स्थल पर रखे जाते हैं। यह दिन नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर करने का माना जाता है। दीये जलाने से घर में प्रकाश, सुरक्षा और शांति आती है।
बड़ी दीवाली पर दीयों की संख्या
मुख्य दिवाली की रात, यानी लक्ष्मी पूजा के दिन, घर के हर कोने में दीप जलाना शुभ माना जाता है।
- 11 या 21 दीये मुख्य पूजा में रखे जाते हैं।
- मुख्य द्वार पर दो दीये – लक्ष्मी के स्वागत के लिए।
- आंगन, बालकनी और छत पर दीये – समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक।
जितने अधिक दीये जलाए जाएं, उतनी अधिक सकारात्मक ऊर्जा और धन आकर्षण का संकेत माना जाता है।
सुरक्षा के उपाय
जलते दीयों को कभी भी बिना निगरानी के न छोड़ें। बच्चों और पालतू जानवरों से दूर रखें। मोमबत्तियों की जगह घी या सरसों के तेल के दीये जलाना शुभ और सुरक्षित माना जाता है।