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Durga Puja 2025: क्या है मुखर्जी परिवार की इस साल की पूजा का खास महत्व?

इस वर्ष की दुर्गा पूजा में मुखर्जी परिवार ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भव्य उद्घाटन किया। काजोल और रानी मुखर्जी की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया। अयान मुखर्जी के लिए यह पूजा भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण रही, क्योंकि यह उनके पिता की अनुपस्थिति में मनाई गई। जानें इस साल की पूजा का महत्व और परिवार की एकता का जश्न कैसे मनाया गया।
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Durga Puja 2025: क्या है मुखर्जी परिवार की इस साल की पूजा का खास महत्व?

मुखर्जी परिवार की दुर्गा पूजा का भव्य उद्घाटन

Durga Puja 2025: इस वर्ष भी, जैसे हर साल, नॉर्थ बॉम्बे सार्वजनिन दुर्गा पूजा ने पंचमी के दिन अपने पूजा उत्सव की शानदार शुरुआत की। काजोल और रानी मुखर्जी ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा का उद्घाटन किया, जिसमें परिवार की एकता और परंपरा की गरिमा स्पष्ट रूप से दिखाई दी। इस आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए, जिससे यह एक बार फिर मुंबई के प्रमुख दुर्गा पूजा आयोजनों में से एक बन गया। इस साल की पूजा निर्देशक अयान मुखर्जी के लिए विशेष रूप से भावुक रही, क्योंकि यह उनकी पहली दुर्गा पूजा है जिसमें उनके पिता देबू मुखर्जी मौजूद नहीं हैं। देबू मुखर्जी, जो इस पूजा के मुख्य आयोजकों में से एक थे, इस वर्ष नहीं रहे, लेकिन उनकी उपस्थिति हर रस्म और श्रद्धा में महसूस की गई।


दुर्गा पूजा पंडाल की भव्यता

दुर्गा पूजा पंडाल

पूजा स्थल पर काजोल, रानी मुखर्जी और तनीषा मुखर्जी ने मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने मीडिया को पोज दिए। पारंपरिक परिधानों में सजी इन अभिनेत्रियों की उपस्थिति ने आयोजन को और भी भव्य बना दिया। दुर्गा पूजा हमारे लिए केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह पूरे परिवार को एक साथ लाने का पर्व है।


अयान मुखर्जी की भावुकता

भावुक हुए अयान मुखर्जी

ब्रह्मास्त्र के निर्देशक अयान मुखर्जी के लिए यह पूजा का वर्ष बेहद भावुक रहा। अपने पिता की अनुपस्थिति को महसूस करते हुए, उन्होंने परिवार के साथ परंपराओं का पालन किया। देबू मुखर्जी, जो वर्षों तक पूजा समिति का हिस्सा रहे, उनके योगदान को याद करते हुए परिवार ने इस बार का आयोजन उन्हें समर्पित किया।


सितारों की उपस्थिति

सितारों से सजा रहा आयोजन स्थल

पूजा पंडाल में मुखर्जी परिवार के अन्य सदस्य जैसे शरबानी मुखर्जी और सम्राट मुखर्जी भी उपस्थित रहे। काजोल और रानी मुखर्जी की साड़ियों में पारंपरिक छवि और शालीनता देखने को मिली, जिसने माहौल को और भी पवित्र और मनमोहक बना दिया।


संस्कृति और परिवार का संगम

परंपरा, आस्था और फैमिली बॉन्डिंग का संगम

यह आयोजन न केवल बंगाली संस्कृति की सुंदरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि कैसे सिनेमा जगत के दिग्गज अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं। दुर्गा पूजा के माध्यम से मुखर्जी परिवार हर साल अपने प्रशंसकों और श्रद्धालुओं के साथ अपने पारिवारिक मूल्यों और सांस्कृतिक धरोहर को साझा करता है।